
पटना – बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को ऐलान किया कि उनकी पार्टी अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा नहीं रहेगी। यह घोषणा उन्होंने बीआर आंबेडकर की जयंती पर पटना में आयोजित संकल्प सम्मेलन में हजारों समर्थकों के बीच की।
“अब एनडीए से हमारा कोई रिश्ता नहीं”
पारस ने स्पष्ट कहा,
“मैं 2014 से एनडीए में रहा हूं, लेकिन आज से मेरी पार्टी का एनडीए से कोई संबंध नहीं रहेगा। जिस गठबंधन में सम्मान मिलेगा, हम वहां जाएंगे।”
पारस ने कहा कि वो अब पूरे बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने के अभियान में लगेंगे और समय आने पर भविष्य की रणनीति तय करेंगे।
रामविलास को ‘भारत रत्न’ देने की मांग
अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान को ‘दूसरा आंबेडकर’ बताते हुए पारस ने उनके लिए भारत रत्न की मांग उठाई। साथ ही, दलितों, मुसलमानों और गरीबों के लिए अपने राजनीतिक एजेंडे को और मुखर किया।
नीतीश सरकार पर तीखा हमला
पारस ने नीतीश कुमार सरकार को ‘दलित विरोधी’ बताया और आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है।
“बिहार में कोई काम बिना घूस के नहीं होता। रोज हत्या, लूट हो रही है। औरंगाबाद में हमारे कार्यकर्ता के बेटे को कुचल दिया गया, लेकिन सरकार चुप है।”
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था, उद्योगों की कमी और कल्याणकारी योजनाओं में धांधली को भी नीतीश सरकार की विफलता बताया।
मुस्लिम समुदाय और ताड़ी पर भी बोले पारस
पारस ने वक्फ बिल का विरोध करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम भाइयों के साथ अन्याय हुआ है। साथ ही उन्होंने शराबबंदी के तहत जेल में बंद गरीबों की रिहाई की मांग की और पासी समाज के लिए ताड़ी पर लगे प्रतिबंध को हटाने की वकालत की।
एनडीए में अनदेखी और अपमान की दास्तान
- हाजीपुर लोकसभा सीट, जिस पर 2019 में पारस सांसद बने थे, अब चिराग पासवान के पास है।
- रालोजपा के दावेदारों को उपचुनाव में नजरअंदाज कर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए।
- चिराग को आवंटित सरकारी बंगला, जो कभी पारस के नियंत्रण में था, भी वापस ले लिया गया।
इन सब घटनाओं से आहत होकर पारस ने एनडीए से नाता तोड़ने का मन बना लिया।
नया मोर्चा या चुपके से RJD की ओर?
हाल ही में पारस ने लालू प्रसाद यादव से कई बार मुलाकात की है, जिससे अटकलें लग रही हैं कि वो RJD के साथ गठबंधन की तैयारी में हैं। हालांकि पारस ने इस पर अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है
क्या बिहार में सत्ता परिवर्तन का नया अध्याय शुरू हो चुका है?
रालोजपा अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा:
“बिहार अब बदलाव चाहता है। 38 जिलों में से 22 का दौरा कर चुका हूं, जनता अब नई सरकार चाहती है।”
पशुपति पारस का एनडीए से अलग होना केवल गठबंधन टूटने की घटना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में दलित-ओबीसी-मुस्लिम गठजोड़ के एक नए समीकरण की दस्तक है। आने वाले चुनाव में यह फैसला क्या रंग लाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

VIKAS TRIPATHI
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