
हिंडन और यमुना के डूब क्षेत्र में कृषि जमीन की रजिस्ट्री को लेकर जिला प्रशासन ने नए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए शासन से सुझाव मांगा है। यह कदम हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश के बाद उठाया गया है, जिसमें कृषि जमीन की रजिस्ट्री के लिए एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की बाध्यता को समाप्त करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, निबंधन विभाग में यह आदेश अभी तक लागू नहीं हुआ है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में स्पष्टता की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री पर रोक का इतिहास
डूब क्षेत्र में वर्ष 2020 से संपत्ति की रजिस्ट्री पर रोक लगी हुई थी। इसका उद्देश्य डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को रोकना था, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। वर्तमान में, डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री कराने के लिए एडीएम की अध्यक्षता में गठित विशेष कमेटी से एनओसी लेना अनिवार्य है। इस व्यवस्था को जुलाई 2024 में लागू किया गया था, और तब से अब तक केवल चार एनओसी जारी की गई हैं।
उच्च न्यायालय के आदेश और प्रशासन की प्रतिक्रिया
हाल ही में रजिस्ट्री में आ रही समस्याओं को लेकर कई लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने करीब दस दिन पहले एक आदेश में डूब क्षेत्र में कृषि जमीन की रजिस्ट्री के लिए एनओसी की बाध्यता को समाप्त कर दिया। इस आदेश के बाद जिला प्रशासन में हलचल मच गई, और बीते शुक्रवार को इस मुद्दे पर जिला अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए शासन से स्पष्ट निर्देश और सुझाव प्राप्त किए जाएं, जिसके लिए एक पत्र शासन को भेजा गया है।
अवैध निर्माणों का संकट और पर्यावरण पर प्रभाव
डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण एक गंभीर समस्या बन चुका है। हिंडन नदी के तलहटी तक अवैध मकान बन चुके हैं, जबकि यमुना क्षेत्र में तेजी से फार्म हाउसों का निर्माण हो रहा है। इस स्थिति ने नोएडा प्राधिकरण और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि इस क्षेत्र में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी, और सिंचाई विभाग के सहयोग से ठोस कदम उठाए जाएंगे।
पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता
हिंडन और यमुना के डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि स्थानीय प्रशासन के सामने भी गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। न्यायालय का आदेश और प्रशासन की प्रतिक्रिया इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। यदि सही ढंग से लागू किया गया तो यह न केवल अवैध निर्माणों पर लगाम लगाएगा, बल्कि क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होगा।

VIKAS TRIPATHI
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