
राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने अब पुराने वाहनों पर सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में 15 साल से पुराने पेट्रोल और CNG वाहनों और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। अनुमान है कि इस फैसले से राजधानी की सड़कों पर चल रहे करीब 55 लाख से ज्यादा पुराने वाहन प्रभावित होंगे।
सरकारी वाहन भी आएंगे नियम के दायरे में
दिल्ली सरकार ने यह साफ किया है कि यह नीति केवल आम नागरिकों पर नहीं, बल्कि सरकारी विभागों के वाहनों पर भी पूरी तरह से लागू होगी। नई EV नीति के तहत दिल्ली नगर निगम (MCD), NDMC, जल बोर्ड, और अन्य सरकारी एजेंसियों के सभी वाहनों को दिसंबर 2027 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक में बदलना अनिवार्य कर दिया गया है। यानी सरकारी गाड़ियों को भी अब पुराने और प्रदूषणकारी ईंधन से मुक्ति दिलाई जाएगी।
इन जगहों पर पार्किंग भी होगी अवैध
परिवहन विभाग की अधिसूचना के मुताबिक, अब ये पुराने वाहन किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि सड़क किनारे, पार्किंग लॉट या यहां तक कि घर के बाहर भी पार्क नहीं किए जा सकेंगे। केवल निजी परिसर में, वह भी साझा न हो, वहां इन्हें खड़ा करना वैध माना जाएगा।
नियमों का उल्लंघन करने पर क्या होगा?
यदि कोई व्यक्ति इन पुराने वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर चलते या सार्वजनिक जगहों पर खड़ा करता हुआ पाया गया, तो:
- वाहन जब्त किया जा सकता है
- ₹5,000 से ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
- जल्द ही इन्हें पेट्रोल पंपों से ईंधन मिलना भी बंद हो जाएगा
वाहन मालिकों के लिए 3 वैकल्पिक रास्ते
- निजी पार्किंग में रखें – केवल व्यक्तिगत गैर-साझा परिसर में
- अन्य राज्य में स्थानांतरित करें – NOC लेकर
- वाहन स्क्रैप कराएं – VVSA पोर्टल के जरिए अधिकृत स्क्रैप सेंटर में
सरकार की मंशा साफ – 2030 तक 98% वाहन हों इलेक्ट्रिक
दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि साल 2027 तक सभी नए रजिस्टर्ड वाहनों में 95% वाहन इलेक्ट्रिक हों, और 2030 तक यह आंकड़ा 98% तक पहुंचे। यह आदेश 31 मार्च 2030 तक प्रभावी रहेगा। इससे दिल्ली को प्रदूषण मुक्त, सुरक्षित और टिकाऊ शहर बनाने में मदद मिलेगी।
नए युग की ओर बढ़ता दिल्ली का ट्रैफिक – स्वच्छ, हरित और स्मार्ट
यह कदम न केवल प्रदूषण पर लगाम लगाने में सहायक होगा, बल्कि यह दिल्ली को स्मार्ट और ईको-फ्रेंडली शहर बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि आम लोग और सरकारी महकमें इस बदलाव को कितनी गंभीरता से अपनाते हैं।

VIKAS TRIPATHI
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