
वक्फ संपत्तियों को लेकर वर्षों से विवादों में रहा वक्फ कानून अब बीजेपी के नए ‘जनसंपर्क अभियान’ का केंद्र बनने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब वक्फ एक्ट में किए गए संशोधनों को लेकर देशभर के मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने की तैयारी में है। पार्टी का मानना है कि इन संशोधनों से आम और गरीब मुसलमानों को लाभ मिलेगा, और इसी सच्चाई को जनता के सामने लाने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है।
दिल्ली में होगी केंद्रीय कार्यशाला, जेपी नड्डा और रिजिजू रहेंगे शामिल
इस अभियान की शुरुआत एक विशेष कार्यशाला से होगी, जिसका आयोजन दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में किया जाएगा। इस कार्यशाला की अध्यक्षता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे, वहीं इसमें केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद रहेंगे।
इस वर्कशॉप में देश के सभी राज्यों से बीजेपी के 3-4 प्रतिनिधियों को बुलाया गया है, जिनमें संबंधित राज्य के बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष प्रमुख रूप से शामिल होंगे। ये प्रतिनिधि कार्यशाला से ट्रेनिंग लेकर अपने राज्यों में जाकर जिला स्तरीय कार्यशालाएं आयोजित करेंगे और स्थानीय नेताओं को इस विषय में प्रशिक्षित करेंगे।
क्या है वक्फ कानून संशोधन और इससे आम मुसलमान को कैसे मिलेगा फायदा?
बीजेपी की माने तो वक्फ संपत्ति के प्रबंधन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
- वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर नियंत्रण: पहले वक्फ बोर्ड को संपत्ति घोषित करने के लिए किसी विशेष प्रक्रिया की जरूरत नहीं थी। अब हर घोषणा के लिए ठोस दस्तावेज और प्रमाण अनिवार्य होंगे।
- संपत्ति विवादों की सुनवाई: अब आम नागरिक या संपत्ति धारक, जिनकी जमीन वक्फ घोषित कर दी जाती थी, उन्हें कानूनी राहत और स्पष्ट सुनवाई का अधिकार मिलेगा।
- राजनीतिक दखल पर रोक: वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और गैर-राजनीतिक नियुक्तियों पर बल दिया गया है।
बीजेपी का दावा है कि इन सुधारों से सामान्य और गरीब मुस्लिम समुदाय को लाभ मिलेगा, क्योंकि अब वक्फ बोर्ड द्वारा मनमाने ढंग से जमीनों पर दावा नहीं किया जा सकेगा। इससे झुग्गियों, कब्रिस्तानों, मदरसों और छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी, जिनकी जमीनें अक्सर विवाद में आ जाती थीं।
राजनीतिक दृष्टिकोण: मुस्लिम वोट बैंक तक पहुंचने की रणनीति
बीजेपी इस अभियान को केवल कानूनी शिक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहती। राजनीतिक रूप से यह प्रयास 2025 के बिहार चुनाव, 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव 2029 तक के लिए मुस्लिम समुदाय के साथ संवाद का अवसर भी बन सकता है।
पार्टी जानती है कि विपक्ष इस कानून को लेकर लोगों में भ्रम फैला रहा है और इसे धार्मिक हस्तक्षेप की तरह पेश कर रहा है। ऐसे में बीजेपी चाहती है कि जनता सीधे पार्टी नेताओं से जानकारी प्राप्त करे, जिससे कि अफवाहों और विपक्ष के प्रोपेगेंडा का जवाब दिया जा सके।
बिहार की पृष्ठभूमि: नीतीश के मुस्लिम नेता कर रहे विरोध, बीजेपी को है चिंता
वक्फ कानून में संशोधन के बाद जेडीयू के कुछ मुस्लिम विधायक और नेता नाराज बताए जा रहे हैं। बिहार में महागठबंधन की राजनीति और मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए यह कार्यशाला और संवाद कार्यक्रम बेहद अहम माना जा रहा है। बीजेपी को उम्मीद है कि इस अभियान के जरिए वो जमीनी स्तर पर मुसलमानों का विश्वास जीत पाएगी।
बीजेपी की दोहरी रणनीति — कानूनी शिक्षा और राजनीतिक विस्तार
इस कार्यशाला और संवाद अभियान के जरिए बीजेपी एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है।
एक ओर तो वह खुद को मुसलमानों की हितैषी पार्टी के रूप में पेश करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की छवि को कमजोर करने की रणनीति भी स्पष्ट नजर आती है।

VIKAS TRIPATHI
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