सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वे राज्य में जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV) की स्थापना के मुद्दे पर संयुक्त परामर्श आयोजित करें और उसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारी तमिलनाडु के हर जिले में JNV स्थापित करने के लिए आवश्यक भूमि की मात्रा का आकलन करें।
यह आदेश जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने सुनवाई के दौरान पारित किया।
‘मेरा राज्य, मेरा राज्य’ की सोच से बचें: जस्टिस नागरत्ना
सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने संघीय भावना पर जोर देते हुए कहा कि ‘मेरा राज्य, मेरा राज्य’ जैसी मानसिकता से बचना चाहिए और केंद्र–राज्य स्तर पर रचनात्मक संवाद होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट तुरंत आधारशिला रखने का आदेश नहीं दे रहा है, बल्कि एक प्रक्रियात्मक कदम उठा रहा है, जो छात्रों के हित में है।
कोर्ट ने कहा,“हमने ये निर्देश केवल उन छात्रों के हित में जारी किए हैं, जो तमिलनाडु में इन विद्यालयों में प्रवेश के पात्र हैं।”
भाषा नीति पर आपत्ति, पर संवाद की गुंजाइश
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील पी. विल्सन ने कहा कि नवोदय विद्यालय तीन-भाषा फार्मूला अपनाते हैं, जबकि राज्य में कानूनी रूप से दो-भाषा नीति लागू है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक जिले में करीब 30 एकड़ भूमि उपलब्ध करानी होगी और उससे जुड़ी लागत राज्य को वहन करनी पड़ेगी।
इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि इस मामले को भाषा विवाद का रूप नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने जोड़ा,“हम एक संघीय समाज हैं। यदि आप एक कदम आगे बढ़ते हैं, तो केंद्र भी एक कदम आगे बढ़ेगा।”
वित्तीय बकाया और आरोप–प्रत्यारोप
राज्य के वकील ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र पर 3000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया का हवाला देते हुए पूर्व अनुभवों का जिक्र किया। साथ ही, एक एनजीओ पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अवैध प्रवेश पाने के आरोप भी लगाए।
इन आरोपों पर कोर्ट ने टकराव से बचने और सीधे संवाद पर जोर दिया। जस्टिस नागरत्ना ने कहा,“यह हिंदी थोपने का मुद्दा नहीं है। यह ग्रामीण छात्रों की शिक्षा का मुद्दा है।”
शर्तों के साथ परामर्श का सुझाव
जस्टिस नागरत्ना ने सुझाव दिया कि राज्य परामर्श के दौरान अपनी शर्तें रख सकता है—जैसे दो-भाषा नीति का पालन और वित्तीय बकाया का निपटारा। जस्टिस महादेवन ने भी कहा कि परामर्श में सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जा सकती है। दोनों जजों ने सार्वजनिक बयानबाजी से बचने और आमने-सामने बातचीत करने की सलाह दी।
मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट, मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें राज्य को हर जिले में एक नवोदय विद्यालय स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि JNV तमिलनाडु तमिल शिक्षा अधिनियम, 2006 का उल्लंघन नहीं करते और राज्य को दो महीने में 240 छात्रों के लिए अस्थायी आवास उपलब्ध कराना चाहिए।
हाई कोर्ट का यह भी कहना था कि नवोदय विद्यालयों को लेकर पूर्ण इनकार छात्रों के शैक्षणिक संस्थान चुनने के अधिकार को सीमित करता है और यह बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के विपरीत है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय भार केंद्र सरकार वहन करती है; राज्य को केवल भूमि उपलब्ध करानी होती है।
कोर्ट में कौन-कौन मौजूद रहा
याचिकाकर्ता कुमारी महासभा की ओर से वकील जी. प्रियदर्शनी और राहुल श्याम भंडारी
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज
सुप्रीम कोर्ट का फोकस टकराव नहीं, बल्कि संवाद और समाधान है—ताकि तमिलनाडु के ग्रामीण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर मिल सकें।














