
गाजीपुर। जिला जेल में बंदियों को मोबाइल फोन से अवैध रूप से बातचीत कराने के मामले में शासन ने सख्त कार्रवाई की है। जांच में दोषी पाए जाने पर डीजी जेल ने जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को निलंबित कर दिया है।
कैसे हुआ मामला उजागर?
गाजीपुर जिला जेल में कुछ कैदियों को अवैध रूप से फोन पर बातचीत कराने की सूचना मिली थी। पुलिस-प्रशासन की जांच में पुष्टि हुई कि जेल में एक गुप्त PCO चलाया जा रहा था, जिससे कैदी बाहर कॉल कर सकते थे। जांच के बाद यह भी सामने आया कि कई बंदी वीआईपी ट्रीटमेंट पा रहे थे और इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ रही थी।
बिहार में नौकरी के नाम पर ठगी का आरोपी भी शामिल
इस मामले में बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला आरोपी विनोद गुप्ता भी शामिल था। वह जेल से फोन कर पीड़ितों को धमका रहा था और मामले में गवाही न देने के बदले पैसे का लालच दे रहा था।
शासन को भेजी गई रिपोर्ट
डीआईजी जेल की जांच रिपोर्ट में इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। जांच में सभी आरोप सही पाए गए, जिसके बाद डीजी जेल ने जेलर और डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया। वहीं, जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह पर भी कार्रवाई की सिफारिश करते हुए शासन को पत्र भेजा गया है।
बंदी वीआईपी सुविधाएं ले रहे थे
जांच में यह भी सामने आया कि जेल के अंदर कुछ कैदियों को विशेष सुविधाएं दी जा रही थीं, जिसमें मोबाइल फोन पर बातचीत की सुविधा भी शामिल थी। इन सुविधाओं के लिए कैदियों को भारी रकम चुकानी पड़ रही थी।
इस मामले में आगे और भी नाम सामने आ सकते हैं, क्योंकि पुलिस-प्रशासन इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रहा है।
