
बिहार की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हलचल तेज़ है और गठबंधन की दरारें भी अब खुलकर सामने आने लगी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने रविवार को अपनी पार्टी की बैठक में ऐसा बयान दे दिया जिसने एनडीए में भीतर ही भीतर चल रही खींचतान को सतह पर ला दिया।
“हम हर हाल में NDA में रहेंगे, लेकिन हमारी ‘औकात’ के अनुसार सीटें मिलनी चाहिए”
मांझी ने दो टूक शब्दों में कहा कि भले ही उनकी पार्टी NDA के साथ खड़ी है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि गठबंधन में उन्हें उनकी राजनीतिक हैसियत के अनुसार सम्मान और हिस्सेदारी दी जाए। उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में HAM को सिर्फ “मैनेज” किया गया, जबकि उन्हें दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट का वादा किया गया था।
“20 विधायक चाहिए, 40 सीटें चाहिए”: सीट बंटवारे पर मांझी का अल्टीमेटम
HAM की बैठक में मांझी ने घोषणा की कि पार्टी का लक्ष्य 20 विधायकों को विधानसभा में भेजना है, जिसके लिए उन्हें कम से कम 35 से 40 सीटें चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे, लेकिन “अब दबाव बनाना ज़रूरी है”।
20 सूत्रीय कमेटी में उपेक्षा, प्रखंड स्तर पर सीटों का एकाधिकार
मांझी ने एनडीए की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाल ही में बनी 20 सूत्रीय कमेटियों में उनकी पार्टी के नेताओं को शामिल नहीं किया गया। यहां तक कि प्रखंड स्तर पर भी बीजेपी और जेडीयू ने अपने-अपने लोगों को फिट कर लिया, जबकि HAM को नजरअंदाज कर दिया गया।
नड्डा और संजय झा से मुलाकात, मिला आश्वासन
मांझी ने बताया कि उन्होंने ये सारी शिकायतें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के समक्ष रखीं। दोनों नेताओं ने आश्वासन दिया कि आगामी विधानसभा चुनावों में HAM की चिंताओं को दूर किया जाएगा। मांझी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता खुद को दरकिनार किया गया महसूस कर रहे हैं।
80 की उम्र में ‘गया’ से जीत, फिर भी उपेक्षा
लोकसभा चुनाव 2024 में HAM को केवल ‘गया’ सीट दी गई थी, जहां से जीतन राम मांझी ने 80 वर्ष की उम्र में जीत दर्ज की। फिर भी वे कहते हैं, “हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति निष्ठा के चलते सीमित ऑफर भी स्वीकार कर लिया।” लेकिन अब विधानसभा की बारी है और मांझी की नाराज़गी खुलकर सामने है।
“अब मेरा नाम बेचकर रैली में भीड़ लाई जा रही”: प्रशांत किशोर पर निशाना
पूर्णिया में प्रशांत किशोर की रैली को लेकर मांझी ने तंज कसते हुए कहा कि, “अब बिहार में किसी पार्टी को भीड़ जुटाने के लिए मेरा नाम बेचना पड़ रहा है। पूर्णिया की महिलाओं को झूठ बोलकर लाया गया था, यह हमारी ताकत का सबूत है।”
विश्लेषण: NDA में सब कुछ ठीक नहीं
मांझी का यह तीखा बयान न केवल HAM की बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि NDA में सीटों को लेकर खींचतान बढ़ सकती है। मांझी जैसे अनुभवी नेता को यदि लगातार नजरअंदाज किया गया तो यह गठबंधन की एकता को प्रभावित कर सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और जेडीयू इस नाराज़गी को कैसे मैनेज करते हैं।

VIKAS TRIPATHI
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