
नई दिल्ली: म्यांमार में राहत कार्यों के लिए भेजे गए भारतीय वायुसेना के विमानों पर हुआ GPS स्पूफिंग हमला सिर्फ एक तकनीकी चुनौती नहीं थी, बल्कि यह आने वाले समय की उन लड़ाइयों की आहट है, जो अब जमीन और आकाश तक सीमित नहीं रहेंगी — बल्कि अब सैटेलाइट सिस्टम और साइबर स्पेस ही नए युद्धक्षेत्र बनते जा रहे हैं।
डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, जब भारतीय वायुसेना का पहला C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान ऑपरेशन ‘ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार के एयरस्पेस में दाखिल हुआ, तब उसके GPS सिग्नल में खतरनाक हस्तक्षेप किया गया। ये सिग्नल छेड़छाड़ जानबूझकर की गई, जिससे विमान की नेविगेशन प्रणाली को गुमराह करने की कोशिश की गई।
GPS स्पूफिंग क्या है और क्यों है यह खतरनाक?
GPS स्पूफिंग एक उच्च स्तरीय साइबर हमला है, जिसमें किसी विमान या डिवाइस को फर्जी और मजबूत GPS सिग्नल भेजकर उसकी लोकेशन बदल दी जाती है। इस तकनीक के ज़रिए नेविगेशन सिस्टम को भ्रमित किया जाता है जिससे विमान गलत दिशा में मुड़ सकता है, या यहां तक कि शत्रु के एयरस्पेस में प्रवेश कर सकता है — जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े टकराव को जन्म दे सकता है।
INS ने बचाई स्थिति, भारतीय तैयारी ने फिर साबित किया दम
हालांकि भारतीय वायुसेना के विमानों में पहले से ही Inertial Navigation System (INS) मौजूद था — एक ऐसी तकनीक जो बिना GPS सिग्नल के भी नेविगेशन को बनाए रखती है। जैसे ही पायलटों को GPS स्पूफिंग का आभास हुआ, उन्होंने INS और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग कर हालात को नियंत्रण में ले लिया। यह दर्शाता है कि भारतीय वायुसेना ऐसी साइबर चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम और सतर्क है।
किसका हाथ? शक की सुई चीन की ओर
हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी देश का नाम सामने नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का संदेह सीधे चीन और उसके समर्थित उग्रवादी नेटवर्क की ओर जा रहा है। म्यांमार में चीन की तकनीकी घुसपैठ और क्षेत्रीय दबदबे को देखते हुए यह आशंका मजबूत मानी जा रही है कि यह हमला चीन प्रायोजित साइबर रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
GPS स्पूफिंग: अब भारत की सीमाओं पर मंडरा रहा है खतरा
‘GPS जैम पोर्टल’ और अन्य ग्लोबल साइबर वॉच डॉग्स के मुताबिक, भारत-पाक और भारत-म्यांमार बॉर्डर अब विश्व के टॉप-5 GPS स्पूफिंग ज़ोन में शामिल हो चुके हैं। अकेले अमृतसर और जम्मू के आसपास 2023 से 2025 के बीच 465 स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि यह कोई इक्का-दुक्का साइबर घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और निरंतर चलने वाला तकनीकी युद्ध है।
ग्लोबल अलार्म: हर दिन 1500 फ्लाइट्स हो रही हैं प्रभावित
OPSGroup की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में GPS स्पूफिंग के मामलों में 500% की वृद्धि हुई है। जहां पहले हर दिन लगभग 300 उड़ानों पर असर पड़ता था, अब यह संख्या 1500 फ्लाइट्स प्रति दिन तक पहुँच चुकी है — जो न सिर्फ सैन्य विमानों के लिए, बल्कि सिविल एविएशन के लिए भी सीधा खतरा बन गया है।
नया युद्धक्षेत्र: स्पेस और साइबर स्पेस
म्यांमार में हुआ यह साइबर हमला केवल भारतीय वायुसेना के लिए एक चुनौती नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। आने वाले समय में लड़ाइयाँ सिर्फ फौज, टैंक और फाइटर जेट्स से नहीं, बल्कि सैटेलाइट, डेटा लिंक, GPS और इंटरनेट के जरिए लड़ी जाएंगी। भारत जैसे देश को अब साइबर डिफेंस को युद्धनीति का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा।

VIKAS TRIPATHI
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