
भारत में नए कानून: BNSS, BNS, BSA
भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ा बदलाव हुआ है। 77 साल बाद अंग्रेजों की बनाई गई CRPC और IPC को बदल दिया गया है। 1 जुलाई से देश में CRPC की जगह BNSS लागू हुआ है और IPC की जगह BNS ने ले ली है। साथ ही नया भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA भी लागू किया गया है। यहां आसान भाषा में समझाया जा रहा है कि BNSS और BSA क्या है और यह जानकारी पूरे देश के लिए बेहद जरूरी है।
भारतीय कानून में नया बदलाव क्या है?
आजादी के 77 साल बाद भारत में कानून में सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव के तहत:
- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू की गई है।
- इंडियन पीनल कोड (IPC) 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 लागू हुई है।
- इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 लागू किया गया है।
BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता)
BNSS ने CRPC की जगह ली है। इसमें कुल 531 धाराएं हैं जिनमें से 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है। 14 धाराओं को हटाया गया है, 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। BNSS में:
- गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं।
- पुलिस रिमांड की अवधि को 15 दिन से बढ़ाकर 60 या 90 दिन तक किया गया है।
BNS (भारतीय न्याय संहिता)

BNS ने IPC को रिप्लेस किया है। IPC की 511 धाराओं की जगह BNS में 358 धाराएं हैं। इसमें:
- 21 नए अपराध जोड़े गए हैं।
- 41 अपराधों में जेल का समय बढ़ाया गया है।
- 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ाई गई है।
- 25 अपराधों में न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
- कम्युनिटी सर्विस के लिए 6 तरह के अपराध शामिल हैं।
- जाति, भाषा या पर्सनल बिलीफ के आधार पर समूह बनाकर मर्डर करने पर सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है।
BSA (भारतीय साक्ष्य अधिनियम)
BSA 2023 में 170 धाराएं हैं, जिनमें 24 को संशोधित किया गया है। IEA 1872 की 167 धाराओं में से 6 को निरस्त किया गया है। इसमें:
- 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं।
- गवाहों की सुरक्षा के प्रावधान हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को कोर्ट में मान्यता दी गई है।
गृहमंत्री अमित शाह का बयान
गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि IPC की जगह BNS, CRPC की जगह BNSS और IEA की जगह BSA लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि:
- नए कानून में मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है।
- राजद्रोह के कानून को खत्म कर दिया गया है।
- सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कैद या आजीवन कारावास, और नाबालिग से बलात्कार पर मृत्युदंड का प्रावधान है।
- पहचान छिपाकर या झूठे वादे करके यौन शोषण के लिए अलग अपराध परिभाषित किया गया है।
- ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा दी गई है।
यह बदलाव भारतीय कानूनी प्रणाली में लेट जस्टिस के चलन को हटाने में मदद करेगा और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़ा सुधार लाएगा।

VIKAS TRIPATHI
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