
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को दिल्ली आबकारी नीति के कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया।
पहले अदालत ने 6 अगस्त को सिसोदिया की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
जांच एजेंसी पर आरोप
सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील ने कहा कि अक्टूबर में उन्हें सूचित किया गया था कि मुकदमा 6-8 महीने में पूरा हो सकता है। हालांकि, अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरोपी दोबारा जमानत की मांग कर सकता है। वकील ने यह भी कहा कि आरोपी लंबे समय से जेल में है और PMLA सेक्शन 45 के तहत दी गई जमानत की शर्तों में रियायत की मांग की गई है। जांच एजेंसी ने मुकदमे में देरी के लिए आरोपी को जिम्मेदार ठहराया।
ईडी ने कहा कि आरोपी गैरजरूरी दस्तावेज मांग रहे हैं और सैकड़ों आवेदन दाखिल किए गए हैं, लेकिन कोई भी रिकॉर्ड नहीं दिखाते। ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में बहुत अधिक आवेदन दाखिल नहीं हुए, इसलिए निचली अदालत और हाई कोर्ट के निष्कर्ष से वे सहमत नहीं हैं।
अधिकारों की रक्षा पर जोर
सिसोदिया के वकील ने तर्क किया कि ईडी के वकील ने 3 जुलाई तक जांच पूरी करने की बात कही थी, जो अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट को बताए गए 6-8 महीने की सीमा से परे है। इस देरी के चलते निचली अदालत में मुकदमा शुरू होना संभव नहीं था। वकील ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और इसका बिना उचित वजह के हनन नहीं हो सकता है।
डेढ़ साल से जेल में बंद
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और ईडी ने 9 मार्च 2023 को उन्हें धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

VIKAS TRIPATHI
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