
नई दिल्ली: भारत ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जहां पहली आकाश हथियार प्रणाली बैटरी एक विदेशी देश को भेजी गई है। हालांकि, यह देश इज़राइल नहीं है, जोकि भारत का प्रमुख रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोगी रहा है। इस बार भारत ने आकाश मिसाइल प्रणाली आर्मेनिया को निर्यात की है, जो इस मिसाइल सिस्टम की पहली विदेशी बिक्री है।
आकाश मिसाइल सिस्टम की विशेषताएं
आकाश मिसाइल प्रणाली, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) है। यह प्रणाली लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों, एयर-टू-सरफेस मिसाइलों, ड्रोनों और अन्य हवाई खतरों को 25 किमी तक की सीमा में नष्ट करने में सक्षम है। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित किया गया है।
प्रत्येक आकाश मिसाइल सिस्टम बैटरी में राजेंद्र 3D पासिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार और चार लॉन्चर शामिल होते हैं, जिनमें से प्रत्येक लॉन्चर में तीन इंटरलिंक्ड मिसाइलें होती हैं।
आर्मेनिया को पहली खेप
रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार ने “फ्रेंडली फॉरेन कंट्री” के लिए पहली आकाश वेपन सिस्टम बैटरी को हरी झंडी दिखाई। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने कहा, “यह भारत की बढ़ती रक्षा प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं का प्रतीक है।”
2022 में, आर्मेनिया ने भारत से लगभग 6,000 करोड़ रुपये मूल्य की 15 आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने का समझौता किया था। यह समझौता आर्मेनिया को इस मिसाइल सिस्टम का पहला विदेशी ग्राहक बनाता है।
स्वदेशी तकनीक पर जोर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2020 में आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि निर्यात संस्करण भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले संस्करण से अलग होगा और इसमें 96 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी घटक शामिल होंगे। आकाश मिसाइल प्रणाली को भारतीय वायु सेना में 2014 में और भारतीय सेना में 2015 में शामिल किया गया था।
अन्य रक्षा निर्यात
भारत ने 2022 में फिलिपींस के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति के लिए एक बड़ा रक्षा निर्यात सौदा भी हासिल किया था। आकाश मिसाइल प्रणाली अत्यधिक मोबाइल है और इसे पहिए वाले और ट्रैक किए गए वाहनों दोनों पर तैनात किया जा सकता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने इस उपलब्धि में योगदान देते हुए कहा कि उसने ग्राउंड सपोर्ट इक्विपमेंट, जैसे कि सर्विलांस रडार, मिसाइल गाइडेंस रडार और C4I सिस्टम प्रदान किए।
निष्कर्ष
भारत का आर्मेनिया को आकाश मिसाइल प्रणाली का निर्यात न केवल उसकी रक्षा उत्पादन क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह देश की बढ़ती वैश्विक सैन्य साझेदारी का भी संकेत है। यह सौदा भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में अन्य देशों के साथ भी रक्षा सहयोग के द्वार खोल सकता है।

VIKAS TRIPATHI
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