Felix Hospital Fraud:“डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं” — ये हमने किताबों और कहानियों में सुना था। लेकिन कुछ अस्पतालों ने लगता है इस ‘भगवान’ को गूगल ड्राइव और व्हाट्सएप में अपलोड कर दिया है, और आशीर्वाद की जगह PDF रिपोर्ट भेजनी शुरू कर दी है — वो भी बिना सैंपल के!
लोकेशन: फेलिक्स हॉस्पिटल, सेक्टर-137, नोएडा
पीड़िता: एक बुजुर्ग महिला
शिकायतकर्ता: उनका बेटा, देवेंद्र
फुल बॉडी चेकअप या फुल बॉडी ठग-अप?
फेलिक्स अस्पताल का एक ऑफर था — फुल बॉडी चेकअप मात्र ₹1800 में! लेकिन बिल बन गया ₹2050 का। चलो मान लेते हैं, शायद GST, ‘हॉस्पिटलिटी’ टैक्स, और डॉक्टर साहब की ब्रेकफास्ट प्लेट का खर्चा भी जुड़ गया हो।
पर असली कमाल तब हुआ जब बिना यूरिन सैंपल दिए ही यूरिन रिपोर्ट बना दी गई!
अब ये चमत्कार आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्योपैथी — किसी भी ‘पैथी’ में नहीं होता!
सैंपल न दो, रिपोर्ट भरो!”
“यूरिन नहीं चाहिए, बस विश्वास रखिए!”
डॉक्टर साहब फ़ोन पर उपलब्ध नहीं थे…
जब शिकायतकर्ता ने डॉक्टर से बात करनी चाही, तो डॉक्टर साहब ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। शायद वो किसी और मरीज के बिना सैंपल वाला CT स्कैन तैयार कर रहे हों।
बुज़ुर्ग महिला ने जब यह रिपोर्ट दूसरे डॉक्टर को दिखाई, तो साफ़ कहा गया —
“ये रिपोर्ट मेडिकल साइंस नहीं, साइंस फिक्शन है!”
व्यंग्य की बात, लेकिन सच्चाई बहुत भारी है…
जहाँ एक आम नागरिक सरकारी अस्पताल की लंबी कतारों में दिन बिताता है, वहीं कई प्राइवेट अस्पताल मरीजों को “डील्स और पैकेज” में बदल चुके हैं। अब ईलाज नहीं, Excel शीट में डेटा एंट्री होती है।
भगवान रूपी डॉक्टर की जगह अब “कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव” और “पैकेज ब्रोशर” ने ले ली है।
सेवा नहीं, सेल चलती है। दवा नहीं, डील बिकती है।
आख़िरी सवाल…
जब बिना पेशाब के यूरिन रिपोर्ट बन सकती है,
तो क्या आने वाले समय में
बिना इलाज के बिल,
बिना मरीज के ICU,
और बिना नब्ज के ECG भी आ जाएगा?
यह सिर्फ एक घटना नहीं, एक चेतावनी है…
यह मामला सिर्फ फेलिक्स अस्पताल की नहीं, नोएडा की उस स्वास्थ्य व्यवस्था का आइना है जो प्रोफेशन से बिज़नेस में बदल चुकी है।
जांच होनी चाहिए।
कार्रवाई होनी चाहिए।
और सबसे जरूरी — मरीज की गरिमा की रक्षा होनी चाहिए।
क्योंकि अगली रिपोर्ट में लिखा मिल सकता है:
“बिना दिल के भी, आपका ECG बिलकुल नॉर्मल है!”