
अलीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को 1967 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इनकार कर दिया गया था। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद AMU कैंपस में जश्न का माहौल बन गया। छात्रों और कर्मचारियों ने पटाखे जलाए और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी व्यक्त की।
बाब-ए-सैयद पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और विश्वविद्यालय के पक्ष में नारेबाजी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
एक छात्र ने ANI से बात करते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमने जश्न मनाया और हम इससे बहुत खुश हैं। यह लड़ाई कई सालों से चल रही थी और आज इसका अंत हुआ। यह AMU की विचारधारा की लड़ाई थी। यहां बढ़ती भीड़ इस बात की गवाह है कि लोग इस फैसले से कितने खुश हैं।”
सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए शहर प्रशासन पहले से ही सतर्क था। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, एहतियातन AMU प्रशासन ने विश्वविद्यालय से संबंधित सभी स्कूलों में शनिवार को छुट्टी घोषित कर दी। मुख्य गेट पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
‘यह भारत के मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण दिन’ – ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर प्रतिक्रिया दी और इसे भारत के मुसलमानों के लिए बड़ी जीत बताया।
ओवैसी ने एक पोस्ट में कहा, “यह भारत के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। 1967 के फैसले ने AMU का अल्पसंख्यक दर्जा खारिज कर दिया था, जबकि वास्तव में इसे होना चाहिए था। संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन का अधिकार देता है।”
उन्होंने आगे कहा, “अल्पसंख्यकों के शिक्षा के अधिकार को बरकरार रखा गया है। मैं AMU के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वविद्यालय संविधान से पहले स्थापित हुआ था या किसी सरकारी कानून से। अगर इसे अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किया गया है, तो यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है। बीजेपी के सभी तर्क खारिज कर दिए गए।”

VIKAS TRIPATHI
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