Sunday, June 22, 2025
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“वक्फ बाय यूजर” क्या है? सुप्रीम कोर्ट में आज फिर गूंजेगा एक ऐसा सवाल, जिससे जुड़ी हैं देशभर की जमीनें और सियासत

Supreme Court hearing waqf amendment act interim order: देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 2 बजे एक ऐसा मामला फिर से सुनवाई में आएगा, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं—नाम है “वक्फ संशोधन कानून”, और उसके सबसे विवादित हिस्से का नाम है: “वक्फ बाय यूजर”

अब आप सोच रहे होंगे, ये “वक्फ बाय यूजर” है क्या बला?

सीधी सी बात है—ऐसी संपत्तियां जिनका कोई औपचारिक रजिस्ट्रेशन या दस्तावेज नहीं है, लेकिन वो सालों से एक खास धर्म के धार्मिक या चैरिटी के कामों में इस्तेमाल होती रही हैं, उन्हें अब तक वक्फ संपत्ति माना जाता रहा है। यानी बिना कागज़, सिर्फ इस्तेमाल के आधार पर कोई ज़मीन या इमारत “वक्फ” बन सकती थी। इस सिद्धांत को ही कहते हैं वक्फ बाय यूजर

अब क्या बदला है?

अब सरकार ने इस नियम पर ब्रेक लगा दिया है। नया कानून कहता है—बिना कागज-पत्तर के अब कोई भी संपत्ति वक्फ घोषित नहीं हो सकती। यानी जो इस्तेमाल में तो है, लेकिन जिसका कोई वैध दस्तावेज नहीं—वो अब वक्फ की ज़मीन नहीं मानी जाएगी। ये बदलाव बड़ा है, और इसका असर देशभर की हजारों संपत्तियों पर पड़ सकता है।

कल अदालत में क्या हुआ?

कल सुप्रीम कोर्ट में करीब दो घंटे इस पर बहस हुई। संविधान पीठ के सामने एक के बाद एक याचिकाकर्ता यह दलीलें रख रहे थे कि नया वक्फ कानून संविधान के खिलाफ है। कोर्ट ने भी माना कि जब तक इस पूरे कानून की संवैधानिक वैधता पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक जिन संपत्तियों को पहले वक्फ घोषित किया जा चुका है (चाहे वो वक्फ बाय यूजर हों), उनका दर्जा खत्म नहीं किया जाएगा।

लेकिन सरकार ने गुज़ारिश की कि इस तरह का कोई भी अंतरिम आदेश देने से पहले, कानून का समर्थन करने वालों को भी सुना जाए। अदालत ने सहमति दी और आज के लिए मामला टाल दिया।

अदालत किन बातों पर विचार करेगी?

आज की सुनवाई में सबसे ज़्यादा चर्चा वक्फ बाय यूजर के चार पहलुओं पर होगी:

  1. क्या वाकई कोई संपत्ति सिर्फ इसलिए वक्फ मानी जा सकती है क्योंकि वहां धार्मिक या चैरिटी के काम होते रहे हैं?
  2. क्या बिना दस्तावेज़ के ऐसी संपत्ति को वक्फ माना जाना संविधान के खिलाफ है?
  3. अगर किसी संपत्ति को एक बार वक्फ घोषित कर दिया जाए तो क्या वो फिर कभी आम संपत्ति बन सकती है?
  4. क्या इससे सरकारी ज़मीन पर वक्फ बोर्ड के अधिकार को लेकर भ्रम पैदा नहीं होता?

विवाद क्या है?

असल विवाद यह है कि कई मामलों में ऐसी संपत्तियों को वक्फ घोषित कर दिया गया है जिन पर सरकार या किसी और पक्ष का भी दावा है। अब नए कानून के मुताबिक वक्फ घोषित करने के लिए रजिस्ट्रेशन और दस्तावेज़ अनिवार्य हो गए हैं। यानी वक्फ बाय यूजर का रास्ता लगभग बंद।

लेकिन पहले से घोषित वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को नया कानून रद्द नहीं करता—बशर्ते कि वो संपत्तियां विवादित न हों या सरकार उनका मालिकाना दावा न कर रही हो।

क्यों है ये सुनवाई अहम?

क्योंकि इस एक मुद्दे से धार्मिक, सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक सभी मोर्चे जुड़ जाते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट वक्फ बाय यूजर की वैधता पर कोई बड़ा फैसला देता है, तो हजारों संपत्तियों की क़ानूनी स्थिति बदल सकती है—और वो भी एक झटके में।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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