
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को लेकर मुस्लिम समुदाय और कई विपक्षी दलों में गहरा आक्रोश फैल गया है। इस कानून को संविधान विरोधी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में लगातार याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। अब तक कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, और जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।
कानून को बताया गया असंवैधानिक, धार्मिक पहचान को नुकसान की आशंका
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वक्फ संशोधन कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि यह न केवल मौलिक अधिकारों का हनन करता है, बल्कि वक्फ की धार्मिक पहचान और लोकतांत्रिक प्रशासन व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाता है।
समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, जो कि केरल के सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों का धार्मिक संगठन है, ने भी इस विधेयक की वैधता को चुनौती दी है। उनकी ओर से अधिवक्ता जुल्फिकार अली पी.एस. ने याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया है कि यह कानून वक्फ की धार्मिक प्रकृति को विकृत कर देगा और वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सीधा आघात है।
NGO और नागरिक अधिकार संगठन भी उतरे मैदान में
एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एक प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। संगठन ने तर्क दिया है कि यह संशोधन अन्य धर्मों के धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन से भेदभावपूर्ण तरीके से व्यवहार करता है, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कांग्रेस की ओर से सोमवार को आधिकारिक याचिका
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी अब पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पार्टी की आधिकारिक याचिका दाखिल करेंगे। यह याचिका पार्टी आलाकमान और वरिष्ठ वकीलों से विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है।
हालांकि इससे पहले बिहार से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद याचिका दाखिल कर चुके हैं, लेकिन वह तब की गई थी जब यह विधेयक संसद में लंबित था। अब जबकि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन चुका है, कांग्रेस की यह याचिका राजनीतिक और कानूनी स्तर पर एक निर्णायक चुनौती मानी जा रही है।
जल्द सुनवाई की होगी मांग
सूत्रों के अनुसार, याचिकाकर्ताओं की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में CJI की पीठ के समक्ष जल्द सुनवाई की मांग की जाएगी। इसके लिए मेंशनिंग की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है, ताकि इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई हो सके।
पृष्ठभूमि: संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बढ़ा विवाद
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक को हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित किया गया था, जिसके बाद शनिवार रात को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही यह कानून प्रभाव में आ गया, जिसके खिलाफ देशभर में विरोध तेज हो गया है।