
नई दिल्ली।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 आज, 8 अप्रैल 2025 से देशभर में लागू हो गया है। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी प्राप्त इस अधिनियम को अब अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने अधिसूचित कर दिया है। मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत यह कानून अब प्रभाव में आ गया है।
संसद में विपक्ष के विरोध के बीच पास हुआ बिल
यह अधिनियम संसद में विपक्षी दलों के तीव्र विरोध और भारी हंगामे के बीच पारित हुआ था।
- राज्यसभा में 128 मत पक्ष में और 95 मत विपक्ष में पड़े।
- लोकसभा में यह आंकड़ा 288 बनाम 232 रहा।
विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया, वहीं केंद्र सरकार ने इसे सुधारात्मक और समावेशी पहल बताया।
केंद्र सरकार का पक्ष: पारदर्शिता और अधिकारों की बहाली
सरकार का कहना है कि नया वक्फ अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देगा। इसके माध्यम से उन गरीब और हाशिए पर खड़े मुसलमानों को न्याय मिलेगा, जो वर्षों से वक्फ संपत्तियों पर अपने अधिकार से वंचित रहे हैं। सरकार के अनुसार, यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में अहम कदम है।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
1. वक्फ बोर्ड की संरचना में समावेशिता:
सभी इस्लामी विचारधाराओं (फिकह) को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
केंद्रीय वक्फ परिषद में कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें अधिकतम चार सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
2. वक्फ संपत्तियों पर निगरानी:
संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए परमार्थ आयुक्त (चैरिटी कमिश्नर) की नियुक्ति की जाएगी, जो वक्फ बोर्ड के कार्यों पर निगरानी रखेगा।
3. महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा:
कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है, लेकिन वह संपत्ति जिसमें विधवा, तलाकशुदा महिला या अनाथ बच्चों के अधिकार हों, उसे वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।
4. न्यायिक समाधान की व्यवस्था:
देशभर में वक्फ संपत्तियों से जुड़े 31,000 से अधिक विवादित मामले लंबित हैं। इन्हें सुलझाने के लिए वक्फ न्यायाधिकरणों को अधिक अधिकार दिए गए हैं। अब असंतुष्ट पक्ष दीवानी अदालत में अपील भी कर सकेगा।
5. राष्ट्रीय धरोहरों की सुरक्षा:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन आने वाली कोई भी संपत्ति अब वक्फ घोषित नहीं की जा सकेगी, जिससे राष्ट्रीय संपत्तियों और ऐतिहासिक स्मारकों की रक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
यह संशोधन अधिनियम एक तरफ जहाँ सरकार की मंशा को प्रतिबिंबित करता है कि वह मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को लेकर गंभीर है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की आपत्ति यह इंगित करती है कि इस पर राजनीतिक और संवैधानिक बहस अभी खत्म नहीं हुई है।

VIKAS TRIPATHI
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