
नई दिल्ली, 07 मार्च 2025: दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा को राउज एवेन्यू सेशंस कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी है। यह मामला आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन से जुड़ा है। सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेने और समन जारी करने के आदेश को सही ठहराते हुए स्पष्ट किया कि इस मामले में ट्रायल आगे बढ़ेगा।
कपिल मिश्रा की याचिका खारिज, ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार
मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कपिल मिश्रा ने रिवीजन याचिका दायर की थी, जिसे शुक्रवार को राउज एवेन्यू सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कपिल मिश्रा को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब 2020 के दिल्ली दंगों में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर लगातार कार्रवाई की मांग उठ रही है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका का विरोध किया है।
दिल्ली पुलिस का एफआईआर दर्ज करने से इनकार
दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को खारिज कर दिया है।
पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता मोहम्मद इलियास द्वारा दिसंबर 2024 में दायर याचिका में कपिल मिश्रा, मुस्तफाबाद विधायक मोहन सिंह बिष्ट, तत्कालीन डीसीपी (उत्तर-पूर्व), दयालपुर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान सहित छह लोगों पर मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।
इलियास का आरोप है कि 23 फरवरी 2020 को कपिल मिश्रा और अन्य लोग कर्दमपुरी में एक सड़क को अवरुद्ध कर रहे थे और वहां रेहड़ी-पटरी वालों के ठेले नष्ट कर रहे थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि तत्कालीन (उत्तर-पूर्व) डीसीपी, कुछ अन्य अधिकारियों के साथ, कपिल मिश्रा के साथ खड़े थे, जब उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को क्षेत्र खाली करने की धमकी दी थी।
दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत, 700 से अधिक घायल
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध और समर्थन में हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे।
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने दयालपुर एसएचओ और अन्य आरोपियों को मस्जिदों में तोड़फोड़ करते देखा था। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
राजनीतिक हलकों में हलचल, कपिल मिश्रा पर बढ़ा दबाव
कपिल मिश्रा को कोर्ट से यह झटका उस समय लगा है जब उनकी भूमिका पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, और कपिल मिश्रा को कानून मंत्री बनाया गया है। विपक्ष इस फैसले को उनके खिलाफ कार्रवाई की दिशा में एक बड़ा कदम बता रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या कपिल मिश्रा इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे या फिर ट्रायल का सामना करेंगे। फिलहाल, इस मामले ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है।

VIKAS TRIPATHI
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