
बरेली: पीलीभीत हाईवे पर लाइन शिफ्टिंग के नाम पर बिजली विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार ने ऐसा ‘करंट’ मारा कि अफसरों की कलम ही शॉर्ट सर्किट हो गई। हाफिजगंज थाने में घोटाले की तहरीर तो दी गई, लेकिन रिपोर्ट अब तक ट्रांसफॉर्मर पर ही झूल रही है — नीचे आने का नाम नहीं ले रही।
सूत्रों के अनुसार, पावर कॉरपोरेशन के अफसरों ने रिपोर्ट लिखवाने से पहले ‘लाइन’ में खड़े होकर सोचा कि अगर लिख दी तो कहीं मीटर हमारे गले ही न पड़ जाए। इसलिए मामला रजिस्टर में जाने की बजाय ‘रजिस्टर ऑफ अंडरस्टैंडिंग’ में ही सुलटा दिया गया।
जानकारी के अनुसार 80 फीसदी काम फूला हुआ दिखाया गया, लेकिन असल में लाइन शिफ्टिंग इतनी हुई कि सच भी शिफ्ट हो गया। पोल लगे तो ज़रूर, पर जवाबदेही पर पोल खुलते ही अफसर भूमिगत केबल बन गए।
‘एफआईआर करने में दिलचस्पी नहीं’ — पावर विभाग
अधिकारियों ने साफ कहा, “हम एफआईआर क्यों करें? जांच होगी तो फर्क खुल जाएगा, फिर सबकी लाइन कट जाएगी।” एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम तो ठेकेदार के साथ केवल करंट अफेयर में थे, घोटाला जानबूझकर नहीं किया गया।”
शहरवासियों की प्रतिक्रिया:
• “हमने तो सोचा था हाईवे के साथ साथ बिजली भी तेज़ चलेगी, पर यहां तो पावर ही डाउन है।” — एक दुकानदार
• “सरकारी अफसरों की रिपोर्टें अब UPS पर चलती हैं — जब चाहें ऑन, जब चाहें ऑफ!” — एक सोशल मीडिया यूज़र
बरेली में बिजली की लाइन शिफ्ट हुई या नहीं, ये तो भविष्य की रिपोर्ट बताएगी, पर अफसरों की नीयत और ठेकेदारों की तरकीब ने ये ज़रूर साबित कर दिया है कि जब मामला हाई वोल्टेज हो, तो सिस्टम खुद ‘ट्रिप’ हो जाता है।