
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक के दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के जवाब में की गई कार्रवाई पूरी तरह नपी-तुली और लक्षित थी। जयशंकर ने दो टूक कहा, “हम हालात को और बिगाड़ना नहीं चाहते, लेकिन अगर भारत पर हमला हुआ, तो उसका जवाब बेहद सख्ती से दिया जाएगा।”
स्पष्ट चेतावनी: भारत शांति चाहता है, लेकिन कमजोर नहीं है
जयशंकर ने कहा कि भारत की मंशा टकराव बढ़ाने की नहीं है, लेकिन अगर कोई सैन्य हमला होता है, तो भारत अपने जवाब में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “ईरान जैसे पड़ोसी और करीबी साझेदार इस संवेदनशील स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं।”
भारत-ईरान मैत्री संधि के 75 वर्ष
यह बैठक भारत-ईरान के बीच मैत्री संधि की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करने के तरीकों पर चर्चा की। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची पाकिस्तान यात्रा के कुछ दिन बाद भारत पहुंचे हैं और भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे।
पृष्ठभूमि: पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन घाटी, पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने इसके पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत कम से कम 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।
इसके बाद से पाकिस्तान ने सीमावर्ती इलाकों में भारी गोलाबारी शुरू कर दी और बयानबाज़ी तेज कर दी है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके पास हमले की पाकिस्तान से साजिश रचने के पक्के खुफिया सबूत हैं।
ईरान की मध्यस्थता की कोशिश
ईरान, जो भारत और पाकिस्तान दोनों से मजबूत संबंध रखता है, तनाव कम कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है। अराघची की इस समय दिल्ली यात्रा इस दिशा में अहम मानी जा रही है। वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे।
भारत का रुख स्पष्ट – जवाबी कार्रवाई संतुलित, लेकिन दृढ़
जयशंकर का संदेश साफ है – भारत शांति और स्थिरता का पक्षधर है, लेकिन अपनी संप्रभुता पर कोई भी हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कूटनीति की मेज़ पर बैठने के लिए शांति जरूरी है, लेकिन जवाब देने के लिए भारत तैयार है।