Sunday, June 22, 2025
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नोएडा अथॉरिटी की ‘सोची-समझी’ अनदेखी – अब जब महल खड़ा हो गया, तो कार्रवाई का नाटक!

नोएडा में अवैध निर्माण कोई नई बात नहीं है, लेकिन मज़ा देखिए—जब पूरा खेल खत्म हो गया, तब जाकर अधिकारियों की नींद खुली! जब पहली ईंट रखी जा रही थी, तब सब मौन थे, लेकिन अब सस्पेंशन और नोटिस का ढोंग किया जा रहा है।

सलारपुर खादर, बरौला, बसई ब्रहाउद्दीन और हनुमान मूर्ति इलाके में बहुमंजिला इमारतें, बड़े-बड़े शोरूम और दुकानें बिना अनुमति के खड़ी हो गईं। सालों तक ये निर्माण होता रहा, लोग घर बसाते रहे, व्यापार फलता-फूलता रहा, लेकिन नोएडा अथॉरिटी को कुछ नहीं दिखा! अब जब मामला सुर्खियों में आ गया, तो आनन-फानन में कार्रवाई का तमाशा शुरू कर दिया।

अब प्यादों की बलि दी जा रही है – असली खिलाड़ी बच निकलेंगे?

सबसे दिलचस्प बात ये है कि कार्रवाई केवल छोटे कर्मचारियों पर की गई। जूनियर इंजीनियर को नौकरी से निकाल दिया, लेखपाल पर गाज गिरा दी, कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस पकड़ा दिया। लेकिन सवाल ये उठता है कि सिर्फ़ प्यादों को हटाने से क्या मिलेगा? जब ये बहुमंजिला इमारतें बन रही थीं, तब क्या बड़े अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी? क्या पूरा नोएडा प्राधिकरण आंखें मूंदे बैठा था?

असलियत तो ये है कि छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई करके बड़े मगरमच्छों को बचाने की रणनीति बनाई गई है। क्योंकि अगर असली दोषियों पर हाथ डाल दिया, तो कई राज़ खुल सकते हैं, कई ‘बड़े नाम’ बेनकाब हो सकते हैं।

जब खेल बड़ा हो, तो आंखें बंद रहती हैं!

अब सवाल ये है कि—
• इतने बड़े अवैध निर्माण के लिए केवल जूनियर इंजीनियर ही जिम्मेदार था?
• क्या कोई भी बड़ा अधिकारी कभी उस इलाके से नहीं गुज़रा?
• क्या किसी ने शिकायत नहीं की?
• या फिर सब जानते-बूझते हुए भी ‘मौन व्रत’ धारण कर लिया गया?

अगर वाकई निष्पक्ष कार्रवाई करनी है, तो जांच उन बड़े अधिकारियों तक भी पहुंचनी चाहिए जिन्होंने इतने सालों तक इस पूरे खेल को नज़रअंदाज़ किया। सिर्फ प्यादों को हटा देने से असली गुनहगारों को बचाने की साजिश कामयाब नहीं होनी चाहिए।

अब ध्वस्तीकरण का दिखावा—पहले बन जाने दिया, अब तोड़ने का ड्रामा!

अब ओएसडी साहब कह रहे हैं कि जल्द ही ये अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए जाएंगे। यानी पहले इमारतें बनने दी गईं, लोगों को रहने दिया गया, दुकानें चलने दी गईं, और अब अचानक सरकार को याद आ गया कि “अरे! ये तो अवैध है!”

पहले आंखें मूंदकर निर्माण करवाया, फिर लोगों को वहां बसने दिया, और अब कार्रवाई का नाटक! क्या ये सब ‘ऊपर तक’ सेट नहीं था? क्या ये पूरा खेल जानबूझकर नहीं खेला गया? असली सवाल यही है!

असल दोषियों तक पहुंचने की हिम्मत है? या फिर हमेशा की तरह मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?

अगर नोएडा प्राधिकरण सच में ईमानदार है, तो सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता। असली गुनहगार वो हैं जो बड़े पदों पर बैठकर ये सब खेल सेट करते हैं। लेकिन क्या उन पर भी कभी गाज गिरेगी, या फिर हमेशा की तरह बस ‘प्यादे’ बलि चढ़ते रहेंगे?

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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