
लोकगायिका नेहा सिंह राठौर की कानूनी मुश्किलें लगातार गहराती जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सोशल मीडिया पर की गई उनकी टिप्पणी अब उनके लिए संकट का कारण बन गई है। लखनऊ हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 12 मई तय की है।
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस बी.आर. सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकारी पक्षकार एजी विनोद शाही और जीए वीके सिंह की दलीलों को सुना, लेकिन फिलहाल नेहा को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया।
पोस्ट पर बवाल: ‘आतंकी हमला चुनावी साजिश’ बताने से मचा बवाल
नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया था कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला एक साजिश है, जिसे बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए अंजाम दिया गया। उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को इस ‘साजिश’ का जिम्मेदार बताया था।
उनकी यह टिप्पणी पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और वहां की मीडिया व यूज़र्स ने इसे बढ़-चढ़कर शेयर किया। इस पोस्ट को ‘देशविरोधी’ करार देते हुए उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की एक अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई।
अदालत में दर्ज हुई आपराधिक शिकायत
शिवेंद्र सिंह नामक व्यक्ति ने एडवोकेट मार्तंड प्रताप सिंह के माध्यम से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 210 के तहत शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया गया है कि नेहा ने आतंकी हमले को चुनाव से जोड़कर देश की सुरक्षा और सरकार की साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
नेहा का पलटवार: “सवाल पूछना देशद्रोह नहीं”
नेहा सिंह राठौर ने अपने बचाव में कहा, “सरकार से सवाल पूछना अगर देशद्रोह है, तो फिर लोकतंत्र का क्या मतलब? सोशल मीडिया की कोई सरहद नहीं होती, लेकिन क्या हम देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों को इतना सामान्य बना देंगे कि इसका फायदा असली गुनहगारों को मिलने लगे?”
जहां एक ओर नेहा अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सवाल पूछने के अधिकार की बात कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार समर्थक वर्ग इस पोस्ट को ‘राष्ट्रविरोधी’ गतिविधि मान रहा है। अब सबकी नजर 12 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी है, जो यह तय करेगी कि यह मामला अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम राष्ट्रहित की बहस में किस दिशा में बढ़ेगा।