
UP Politics में भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है, जो उत्तर प्रदेश की पश्चिम से पूर्वांचल तक हर जगह महसूस हो रहा है। चुनाव परिणामों में, मोदी-योगी जोड़ी के खिलाफ खड़े राहुल-अखिलेश के सीधे मुकाबले में, भाजपा के तीखे अस्त्र-शस्त्र बेअसर साबित हुए हैं। यह परिणाम न केवल राजनीतिक गणित को बदल रहा है, बल्कि इसका सीधा असर भाजपा के किले को भी महसूस हो रहा है, जिसे इस चुनाव में 28 सीटों का सीधा नुकसान हुआ है।
भाजपा ने पिछले चुनाव में अपने सहयोगियों के साथ 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार वह केवल 36 सीटों पर सिमटकर रह गई है। इसके साथ ही, भाजपा के लिए वोट प्रतिशत में भी कमी आई है। यह एक साफ संकेत है कि मोदी-योगी के गढ़ में भी भाजपा की निराशाजनक प्रदर्शन की चिंता बढ़ गई है।
सनातन धर्म, मंगलसूत्र, राम मंदिर के साथ ही ध्रुवीकरण की भी कोशिशें होने के बावजूद, मतदाताओं का वास्तविक मिजाज भांपने में भाजपा कामयाब नहीं हुई। दूसरी ओर, सपा का पीडीए फार्मूला, संविधान बदलने और आरक्षण के दांव का दर्जा अपेक्षाकृत असरदार रहा है।
इसके अलावा, पूर्वांचल की छठे और सातवें चरण की 27 सीटों में भाजपा के लिए समय कठिन हो गया है। पिछले चुनाव में यहाँ से 20 सीटों पर जीत हासिल की गई थी, लेकिन इस बार वह केवल 10 सीटों पर खड़ी है। यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए संदेह का संकेत है और समाज में बदलाव की आवाज़ को महसूस कराता है।

VIKAS TRIPATHI
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