
वाराणसी: देश की सांस्कृतिक राजधानी और दुनिया में आकर्षण का केंद्र काशी नगरी की संसदीय सीट का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय मंगलवार को पहड़िया के मतगणना केंद्र में लिखा गया। मतदाताओं की अनोखी सोच के चलते इस चुनाव परिणाम पर पूरे देश की निगाहें दिनभर टिकी रहीं। मतगणना के प्रारंभिक रुझान में पीछे रहने के बाद जब पीएम मोदी ने बढ़त लेनी शुरू की, तो दिन चढ़ने के साथ उनका ग्राफ भी बढ़ता गया। इस सीट से पीएम नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की, लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछले चुनाव की तुलना में तीन लाख से ज्यादा कम रहा, जो आश्चर्यचकित करने वाला और बनारस में बदलाव की तस्वीर पर सवाल खड़ा करने वाला है।
इंडिया गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए कड़ी टक्कर दी और जीत के अंतर को काफी कम कर दिया। पीएम मोदी ने 6,12,970 मत पाकर 1,52,513 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि अजय राय को 4,60,457 यानी 40.74% वोट मिले। जीत के बाद अजय राय ने कहा कि वह और इंडिया गठबंधन इस लोकतांत्रिक युद्ध में निहत्थे-पैदल थे, जबकि दूसरी ओर सत्ता की चकाचौंध और संसाधनों का सैलाब था। काशी की जनता के समर्थन और आशीर्वाद से यह उनकी नैतिक जीत है। बनारस में बसपा तीसरे नंबर पर रही, पर इतने वोट नहीं मिल सके कि उनकी जमानत बच सके। पीएम नरेंद्र मोदी की जीत के अलावा, इंडिया गठबंधन के अजय राय ही इकलौते ऐसे प्रत्याशी हैं जो अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे। बाकी पांच प्रत्याशियों में से कोई भी उतने वोट नहीं प्राप्त कर सका कि उनकी जमानत बच सके। अजय राय 4,60,457 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। बसपा के अतहर जमाल लारी को 33,766 मत मिले। अपना दल (क) के गगन प्रकाश को 3634, युग तुलसी पार्टी के कोली शेट्टी को 5750, निर्दलीय दिनेश कुमार यादव को 2917 और संजय तिवारी को 2171 मत मिले। नोटा को 8,478 मत मिले, जो इंडिया गठबंधन और बसपा को छोड़ बाकी सभी प्रत्याशियों के मतों से दोगुने से भी अधिक है।
इसी के साथ बनारस संसदीय सीट के इतिहास में एक नया पन्ना जुड़ गया है—पीएम मोदी लगातार जीतने वाले पहले सांसद बने हैं।

वाराणसी संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो 1999 के बाद पीएम मोदी हैट्रिक लगाने वाले तीसरे सांसद हैं। हालांकि, इस बार वह मत पाने और मार्जिन का रिकॉर्ड नहीं बना सके। पीएम मोदी को कुल पड़े मतों का 54.24 प्रतिशत मिला और जीत-हार का अंतर 13.50 प्रतिशत रहा। जबकि 2019 के चुनाव में पीएम मोदी ने 63.62 प्रतिशत मत पाकर चार लाख 79 हजार मत यानी 45.2 प्रतिशत ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पीएम मोदी की भारी मतों से जीत का रथ रोकने वाले इंडिया गठबंधन के अजय राय बीते तीन लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहने के बाद इस बार न केवल दूसरे नंबर पर रहे, बल्कि उन्होंने 2019 के चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस को मिले कुल मतों से एक लाख से अधिक और 2014 में चुनाव लड़े दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दो लाख से ज्यादा मत हासिल किए। पीएम मोदी हैट्रिक लगाने के बाद भी 1977 में जयप्रकाश नारायण की आंधी में बनारस सीट से चुनाव जीतने वाले स्व. चंद्रशेखर को मिले मत और जीत-हार के अंतर के रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर सके हैं।
मोदी की मार्जिन क्यों कम हुई?
- काशी में विकास के विभिन्न पहलुओं से देश-दुनिया के लोग आकर्षित हैं, लेकिन भौतिक बदलाव बनारसियों को ज्यादा पसंद नहीं आया।
- बढ़ती महंगाई से निम्न मध्यमवर्गीय मतदाताओं की सरकार से नाराजगी।
- बीजेपी के स्थानीय नेताओं की जगह बाहरी, खासकर गुजरात से आए लोगों को तवज्जो मिलना और मोदी की जीत को लेकर आश्वस्त कार्यकर्ताओं की सुस्ती।
- बीजेपी सरकार द्वारा संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने के मुद्दे का व्यापक असर।
- अपने सांसद से सीधे मिलने या संवाद न कर पाने की नाराजगी के चलते अपने बीच के उम्मीदवार को जिताने की सोच।
- 8 विधायक, 3 मंत्री, एमएलसी सहित एक मेयर का प्रभाव नहीं दिखा; विधायकों का हर बार की तरह इस बार डोर टू डोर न जाना और बस केंद्रीय मंत्रियों के साथ गेस्टहाउस में बैठना।

जबकि पीएम मोदी ने पहले ही किया था आगाह
वोटिंग के कुछ ही हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के भाजपा नेताओं से बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा था कि काशी वालों का आशीर्वाद हमें जरूर मिलेगा लेकिन हमें अति आत्मविश्वासी होने से बचना है। अपनी योजनाओं और कार्यों को लेकर जन-जन तक पहुंचने के लिए तत्पर रहना है।
90 के दशक से ही वाराणसी को बीजेपी का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है. 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से महीनो पहले ही प्रधानमंत्री मोदी के बड़ी जीत के लिए भाजपा के स्थानीय पदाधिकारीयों, संगठन कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. खुद इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के बड़े नेता काशी दौरे पर पहुंचते थे और स्थानीय नेताओं से फीडबैक भी लेते थे. वाराणसी की लोकसभा सीट पर जीत की हैट्रिक लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 152513 वोट से जीत हासिल की
क्यों I.N.D.I.A को ज्यादा मत
- मुस्लिम मतदाताओं की रणनीति के साथ एकतरफा इंडिया के पक्ष में वोटिंग।
- पिछले चुनाव में बीजेपी के पक्ष में रहने वाले पिछड़े, खासकर पटेल और दलित मतदाताओं का आरक्षण खत्म होने की आहट से बिखराव।
- शहर के हर वर्ग, खासकर भूमिहार-पटेल मतदाताओं की सोच में बदलाव।
- पिछले चुनाव की अपेक्षा बेहतर चुनाव प्रबंधन और दो लड़कों की जोड़ी के प्रति जनता का लगाव।
- लगातार तीन चुनाव में करारी हार के बावजूद अजय राय का सभी के सुख-दुख का सहभागी रहना।
कैसे कैसे बढ़ती रही सरगर्मी
सुबह 8 बजे- मतगणना शुरू, सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती
सुबह 9.15 बजे- पीएम मोदी 6 हजार वोटों से पीछे, अजय राय आगे
सुबह 10 बजे-पीएम मोदी 26 हजार मतों से आगे
सुबह 11 बजे- पीएम मोदी के जीत के मतों अंतर 50 हजार हुआ
दोपहर 12 बजे- 12 वें राउंड में पीएम मोदी 80 हजार वोट से आगे
दोपहर 1 बजे- पीएम मोदी 454952 वोट पाकर सवा लाख मतों से आगे
दोपहर दो बजे- मोदी ने 5 लाख से ज्यादा मतों का आंकड़ा छुआ
शाम तीन बजे- डेढ़ लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत की ओर
शाम 5.30 बजे- मोदी ने 152513 वोटों के अंतर से जीत हासिल की

यूं काशी पर चढ़ता गया भगवा रंग
पहड़िया मंडी मतगणना केंद्र से जैसे काउंटिंग शुरू हुई भोले की नगरी काशी पर भगवा का चटख रंग चढ़ना शुरू हुआ तो शाम को नतीजे की घोषणा के बाद भगवा रंग में रंग गई। गली-मोहल्लों में नमो-नमो की गूंज के दौर के बीच हर तरफ डमरू-शंखनाद और ढोल-नगाड़े की थाप पर बनारसी जश्न में डूबे तो लड्डू बंटने का दौर रात तक चलता रहा। चाय-पान की दुकान से लेकर हर दुकान-बाजार में चर्चा सिर्फ और सिर्फ बनारस समेत यूपी और देश में कांग्रेस और सपा गठबंधन को मिली सफलता की। भाजपा के कौन-कौन दिग्गज कहां और कितने से हारे। अड़ियों पर दिनभर चकल्लस पीएम मोदी के मतों की जीत का अंतर कम होने की।
उल्लास पर फिरा पानी, मुस्लिम इलाकों में मायूसी
बीजेपी की ओर से तैयार कराए गए हजारों किलो लड्डू बंटे और आतिशबाजी भी हुई पर वैसा उल्लास देखने को नहीं मिला, जैसा 2014 और 2019 के चुनाव में पीएम मोदी की भारी मतों के अंतर से जीत पर देखने को मिला था। बनारस के चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा नेता बोलने से बचते रहे। इन सबके बीच मुस्लिम बहुल इलाकों में परिणाम को लेकर थोड़ी मायूसी के बावजूद खुशी इस बात की कि नरेंद्र मोदी को पहली बार कड़ी चुनौती मिली वह भी बनारस के बेटे अजय राय ने दी। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि परिणाम से सियासी पिच पर अजय राय का कद बढ़ा है।


VIKAS TRIPATHI
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