
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बुधवार को अयोग्य आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। आयोग ने उन पर झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रणाली में हेरफेर करने का आरोप लगाया। यूपीएससी ने दावा किया कि खेडकर ने अपने मामले में अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए झूठे दस्तावेज दाखिल किए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को पूर्व प्रोबेशनरी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा खेडकर से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें अदालत में कथित रूप से झूठा बयान और हलफनामा देने के लिए उनके खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने यूपीएससी के आवेदन पर खेडकर को नोटिस जारी किया और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की। यूपीएससी ने तर्क दिया कि 31 जुलाई को जिस सूचना के जरिए खेडकर की उम्मीदवारी रद्द की गई थी, उसी दिन उन्हें उनके पंजीकृत ईमेल आईडी पर सूचना दी गई थी। इसमें कहा गया है कि यह वही ईमेल आईडी है, जो सिविल सेवा कार्यक्रम (सीएसपी) 2022 के लिए उनके ऑनलाइन आवेदन में दर्ज थी।
खेड़कर ने पहले यूपीएससी की प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है।
उन्होंने दावा किया था कि रद्द करने के आदेश के बारे में उन्हें कभी सूचित नहीं किया गया और उन्हें इसके बारे में केवल प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पता चला।
अदालत ने यूपीएससी की इस दलील पर गौर करने के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था कि वह उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के अपने आदेश के बारे में दो दिनों के भीतर सूचित करेगी।
31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया।
उन पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में ‘गलत जानकारी प्रस्तुत करने’ का आरोप लगाया गया था। खेडकर पर धोखाधड़ी करने और ओबीसी और विकलांगता कोटा लाभों का गलत तरीके से लाभ उठाने का भी आरोप लगाया गया था।
1 अगस्त को यहां की एक ट्रायल कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि ये गंभीर आरोप हैं जिनकी “गहन जांच की आवश्यकता है”

VIKAS TRIPATHI
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