
गाजीपुर: दहेज हत्या के एक मामले में जिला अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस के “ऑपरेशन कन्विक्शन” अभियान के तहत हुई, जिसमें मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन पक्ष की प्रभावी पैरवी के चलते सजा सुनिश्चित की गई।
मामले का विवरण
घटना जनपद गाजीपुर के नोनहरा थाना क्षेत्र के महेशपुर गांव की है। वर्ष 2020 में एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि महिला को दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर अशोक राजभर उर्फ दीपू राजभर (पति), गणेश राजभर (ससुर) और सविता राजभर (सास) के खिलाफ धारा 498A (दहेज उत्पीड़न), 304B (दहेज हत्या) और 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
न्यायालय का फैसला
लगातार प्रभावी पैरवी के बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई:
- धारा 304B/34 भादवि (दहेज हत्या) – 7-7 साल का सश्रम कारावास
- धारा 498A/34 भादवि (दहेज उत्पीड़न) – 2-2 साल का सश्रम कारावास और 5,000-5,000 रुपये का जुर्माना
- धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम – 1-1 साल का सश्रम कारावास और 5,000-5,000 रुपये का जुर्माना
अभियोजन की सख्ती से मिली सजा
मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन पक्ष की सख्ती के कारण तीनों दोषियों को सजा मिली। पुलिस का कहना है कि “ऑपरेशन कन्विक्शन” अभियान के तहत दहेज हत्या के मामलों में कठोर कार्रवाई की जा रही है, ताकि समाज में इस कुप्रथा को रोका जा सके।
दहेज उत्पीड़न के मामलों में प्रशासन सख्त
पुलिस और जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अगर कहीं भी दहेज उत्पीड़न का मामला सामने आए तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। इस तरह के अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रहेगी, ताकि दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाया जा सके।
