
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने महाराष्ट्र के नागपुर में कल अपने रोड शो के दौरान भाजपा समर्थकों की चुनौती का मुस्कान के साथ सामना किया। रोड शो के बीच, एक इमारत से भाजपा के झंडे लहराते समर्थकों को देखते हुए प्रियंका गांधी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा, “चुनाव की शुभकामनाएं, लेकिन जीत महा विकास अघाड़ी की होगी।”
भाजपा का गढ़ माने जाने वाले नागपुर में कांग्रेस की चुनौती
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुख्यालय स्थित है, और यह शहर भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। नागपुर लोकसभा सीट पर 2014 से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी काबिज हैं, और यहां की छह में से चार विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं। प्रियंका गांधी का यह रोड शो नागपुर पश्चिम और नागपुर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्रों से गुजरा, जहां भारी भीड़ जुटी। नागपुर पश्चिम सीट कांग्रेस के पास है, जबकि नागपुर सेंट्रल पर 2009 से भाजपा का कब्जा है।
भाजपा समर्थकों को जवाब और कांग्रेस के नारे
प्रियंका गांधी ने रोड शो के दौरान इमारतों और सड़कों पर खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। शो के अंत में, एक समूह ने भाजपा के झंडे लहराए और नारे लगाए। इसके जवाब में कांग्रेस समर्थकों ने भी जोरदार नारेबाजी की। इस पर प्रियंका गांधी ने माइक संभाला और भाजपा समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “भाजपा के मित्रों, आपको चुनाव के लिए शुभकामनाएं, लेकिन जीत महा विकास अघाड़ी की होगी।” प्रियंका के इस बयान पर कांग्रेस समर्थकों में जोरदार उत्साह देखा गया।
कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच तनातनी
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर सेंट्रल से कांग्रेस के उम्मीदवार बंटी शेलके और भाजपा समर्थकों के बीच रोड शो के बाद तीखी नोकझोंक हुई। हालांकि, स्थानीय पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया और विवाद को आगे बढ़ने नहीं दिया।
महाराष्ट्र चुनाव: NDA और महा विकास अघाड़ी के बीच कड़ा मुकाबला
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प मुकाबला माना जा रहा है। पिछली विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना (तब अविभाजित) की NDA गठबंधन ने 288 सीटों में से 161 पर शानदार जीत दर्ज की थी। लेकिन मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर विवाद के बाद दोनों दलों में मतभेद हो गए और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई।
2022 में यह सरकार तब गिर गई, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत हुई और शिवसेना का विभाजन हुआ। शिंदे गुट ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया, जबकि बाद में अजित पवार के विद्रोह ने एनसीपी में भी विभाजन कर दिया। इस चुनाव में शिवसेना और एनसीपी के दोनों गुट राजनीतिक ध्रुवीकरण का हिस्सा बन गए हैं, जिससे यह एक प्रतिष्ठा का मुकाबला बन गया है।
लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की बढ़त
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-शिवसेना (UBT)-एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि महायुति को 17 सीटें मिली थीं। इस बार महा विकास अघाड़ी एक बड़ी जीत की कोशिश में है, वहीं महायुति पिछली हार से उबरते हुए वापसी करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

VIKAS TRIPATHI
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