Friday, June 13, 2025
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सुप्रीम कोर्ट पर निशिकांत दुबे की टिप्पणी से गरमाई सियासत, ओवैसी बोले- “बीजेपी कर रही धार्मिक युद्ध की धमकी”

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे के उस विवादित बयान ने तगड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को धार्मिक गृहयुद्ध के लिए ज़िम्मेदार ठहराया. अब इस विवाद पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और BJP पर संवैधानिक संस्थाओं को धमकाने का आरोप लगाया है.

ओवैसी का पलटवार: “ट्यूबलाइट हैं ये लोग, कोर्ट को धमका रहे हैं”

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने निशिकांत दुबे के बयान पर निशाना साधते हुए कहा:

“आप लोग ट्यूबलाइट हैं, आपको देर से समझ आता है. क्या आप जानते हैं अनुच्छेद 142 क्या है, जिसे डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान में जोड़ा था? बीजेपी अब इतनी कट्टरपंथी हो चुकी है कि धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है. ये सीधा-सीधा संविधान और न्यायपालिका का अपमान है.”

ओवैसी ने आगे चेतावनी देते हुए कहा,

“अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन नेताओं को नहीं रोकते, तो देश कमजोर होगा. जब सत्ता नहीं रहेगी, तब देश माफ नहीं करेगा.”

🧨 क्या बोले थे निशिकांत दुबे?

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक बयान में कहा था:

“देश में चल रहे धार्मिक युद्धों के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है. कोर्ट अपनी मर्यादा लांघ रहा है. अगर हर बात में सुप्रीम कोर्ट ही फैसला करेगा, तो फिर संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए. आज देश में गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं, इसके लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ज़िम्मेदार हैं.”

बीजेपी ने ली दूरी, विपक्ष का हमला तेज

जैसे ही यह बयान सामने आया, कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने BJP पर हमला बोलना शुरू कर दिया. विपक्ष ने दुबे पर संविधान की अवमानना और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया.

विवाद बढ़ता देख BJP को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्पष्ट किया कि:

“निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिका पर की गई टिप्पणियां उनकी व्यक्तिगत राय हैं. पार्टी का उनसे कोई लेना-देना नहीं है.”

कानूनी विशेषज्ञों की राय: अवमानना का मामला बनता है?

कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर कोर्ट की अवमानना का मामला बन सकता है, क्योंकि इसमें CJI पर सीधा हमला किया गया है. यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले का स्वत: संज्ञान (suo motu) लेता है, तो दुबे को कठिन कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है.

मामले की संवेदनशीलता क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह विवाद न्यायपालिका बनाम विधायिका जैसी संवैधानिक बहस को जन्म देता है
  • सुप्रीम कोर्ट पर इस प्रकार के आरोपों से संस्थानों की साख पर असर पड़ता है
  • यह मामला दिखाता है कि राजनीतिक बयानबाज़ी किस हद तक जा सकती है
  • ओवैसी और विपक्ष इसे संवैधानिक संकट और तानाशाही की ओर इशारा बता रहे हैं
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VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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