
नई दिल्ली:
संसद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पारित कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही देश की राजनीति में नए सियासी सवाल खड़े हो गए हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक को “सुधारात्मक कदम” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला मान रहा है।
इस विधेयक के खिलाफ विपक्ष ने संसद में एकजुट विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति और राहुल गांधी की चुप्पी पर अब सवाल उठ रहे हैं।
“प्रियंका गांधी कहां थीं?” – IUML और सुप्रभातम ने जताई नाराज़गी
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और केरल की प्रमुख मुस्लिम संस्था समस्त केरल जेम-इय्यथुल उलमा के मुखपत्र ‘सुप्रभातम’ ने प्रियंका गांधी की गैरहाजिरी को “काला धब्बा” करार दिया। 4 अप्रैल को प्रकाशित संपादकीय में पूछा गया –
“जब संसद में मुसलमानों के मौलिक अधिकारों पर बहस हो रही थी, तब प्रियंका गांधी कहां थीं?”
संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि वक्फ विधेयक मुसलमानों के अधिकारों और संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है, और कांग्रेस को इसका विरोध खुलकर करना चाहिए था।
राहुल गांधी भी निशाने पर, INDIA गठबंधन की भूमिका की सराहना
संपादकीय में राहुल गांधी की चुप्पी पर भी नाराज़गी जताई गई। पूछा गया कि जो नेता लगातार संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं, वह इतने अहम मुद्दे पर खामोश क्यों रहे?
हालांकि, विपक्षी गठबंधन INDIA की संसद में एकजुट रणनीति की सराहना की गई, जिसमें कांग्रेस, वामपंथी दलों और तृणमूल कांग्रेस ने साथ मिलकर विधेयक का विरोध किया।
कांग्रेस ने बताया असंवैधानिक, सरकार पर लगाया “लक्षित कानून” का आरोप
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा:
“यह विधेयक असंवैधानिक और लक्षित है। सरकार ने तमाम आपत्तियों को नजरअंदाज कर जबरन इसे पास किया।”
उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ अल्पसंख्यकों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ भी एक खतरा है।
राज्यसभा में आधी रात तक चली बहस, विधेयक पारित
शुक्रवार की सुबह, लंबी बहस और मत विभाजन के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 राज्यसभा में पास हो गया।
सभापति जगदीप धनखड़ ने घोषणा की –
“हां में 128, नहीं में 95 और अनुपस्थित कोई नहीं, विधेयक पारित किया जाता है।”
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य?
विधेयक का मकसद 1995 के वक्फ अधिनियम में सुधार करना है। इसके तहत:
- वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता बढ़ाने,
- संपत्तियों का डिजिटलीकरण और पारदर्शिता लाने,
- पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने
- और वक्फ संपत्तियों के उपयोग को विकासात्मक कार्यों से जोड़ने की बात कही गई है।