
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार को राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के मामले में जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुमार 100 दिनों से हिरासत में हैं और इस मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने निर्देश दिया कि बिभव कुमार को मुख्यमंत्री कार्यालय में निजी सहायक के रूप में बहाल नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें कोई आधिकारिक कार्यभार नहीं दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट को तीन महीने के भीतर महत्वपूर्ण और कमजोर गवाहों की जांच पूरी करने का प्रयास करना चाहिए और बिभव कुमार को निर्देश दिया कि जब तक सभी गवाहों की जांच नहीं हो जाती, तब तक वह सीएम आवास में प्रवेश न करें।
इससे पहले 24 अगस्त को एक सत्र अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ा दी थी। कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर आप की राज्यसभा सांसद मालीवाल पर हमला करने का आरोप है।
सत्र न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट गौरव गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किए जाने के बाद उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी।
पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कुमार की याचिका पर जांच अधिकारियों से जवाब भी मांगा है, जिसमें आरोपपत्र और उनके वकील को दिए गए दस्तावेजों के उचित पृष्ठांकन की मांग की गई है।
उनके वकील रजत भारद्वाज ने तर्क दिया कि दस्तावेजों को व्यवस्थित करने की जरूरत है, ताकि बचाव पक्ष अपना मामला पेश कर सके।
दिल्ली पुलिस की 500 पन्नों की अंतिम रिपोर्ट में कुमार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को मिटाना), 308 (सदोषपूर्ण हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354 बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी भी शब्द, हाव-भाव या वस्तु का उपयोग करके महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) शामिल हैं।

VIKAS TRIPATHI
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