
Maharashtra politics: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों “इस्तीफों की बरसात” हो रही है। एक तरफ धनंजय मुंडे ने इस्तीफा देकर सनसनी मचा दी, तो वहीं अब हसन मुश्रीफ ने भी पालकमंत्री पद से अलविदा कह दिया। वजह? “यात्रा की कठिनाई!” यानी 800 किलोमीटर की दूरी ने मंत्री जी को इतनी तकलीफ दी कि कुर्सी छोड़ने का फैसला कर लिया। (क्या करें, आखिर ट्रैफिक और सफर की दिक्कतें सिर्फ आम जनता के लिए थोड़ी होती हैं!)
हालांकि, महाराष्ट्र की जनता इतनी भी भोली नहीं है कि इसे सिर्फ “सफर की समस्या” माने। मंत्री जी ने पहले ही वाशिम को छोटा जिला कहकर अपनी नाराजगी जता दी थी। तो क्या असली कारण यह था कि उन्हें बड़ा जिला चाहिए था? मतलब, अगर पालकमंत्री की पोस्टिंग जिला देख कर मिलने लगी, तो जल्द ही नेता लोग मुंबई, पुणे और ठाणे के लिए लाइन लगा देंगे! छोटे जिलों की तकदीर तो पहले ही खराब थी, अब मंत्री भी उनके साथ नहीं रहना चाहते!
राजनीति में नया ट्रेंड – “दूरी तय करो, कुर्सी छोड़ो!”
महाराष्ट्र में इन दिनों इस्तीफे देने का नया फॉर्मूला चल पड़ा है – अगर पोस्टिंग मनपसंद नहीं हुई, तो दूरी का बहाना बनाओ और निकल लो! धनंजय मुंडे ने एक “निजी वजह” से इस्तीफा दिया, और अब मुश्रीफ ने “भौगोलिक दिक्कतों” का हवाला दे दिया।
अब सवाल यह है कि बाकी मंत्री गण इस नए ट्रेंड का पालन कब करेंगे? नासिक और रायगढ़ के पालकमंत्री भी जल्द ही सफर की मुश्किलों का रोना रो सकते हैं। क्या पता, कल को “बैठकों में ज्यादा फाइलें देखने से आंखों में दर्द हो रहा है” या “सत्ता का भार अब उठाया नहीं जाता” जैसी वजहें भी इस्तीफे के कारण बन जाएं!
छोटे जिले, छोटे सपने – नेता जी को बड़ा चाहिए!
मुश्रीफ साहब ने वाशिम को “छोटा जिला” कहकर नाखुशी जता दी। मतलब साफ है – छोटे जिले और उनके लोग नेताओं की प्राथमिकता में नहीं हैं। और जनता यही सोच रही होगी – “हमने क्या गलती की कि हमारे जिले का कद छोटा रह गया?”
तो क्या अब नेताओं को पालकमंत्री पद देने से पहले “ड्राफ्ट पॉलिसी” बनेगी?
• 50 लाख की आबादी से कम, तो मंत्री जी को दिक्कत होगी!
• अगर जिले में हवाई अड्डा नहीं, तो मंत्री साहब नाराज होंगे!
• अगर मंत्री जी को सड़क मार्ग से जाना पड़े, तो वो कुर्सी छोड़ देंगे!
तो फिर छोटे जिलों का क्या होगा? शायद अब से “वीआईपी नेताओं” को सिर्फ “वीआईपी जिलों” में ही पोस्टिंग दी जाएगी!
आगे क्या होगा?
अब महाराष्ट्र सरकार को नए पालकमंत्री की नियुक्ति करनी पड़ेगी, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि कोई और मंत्री ‘सफर की मुश्किलों’ का बहाना न बना ले! क्योंकि इस वक्त जिस रफ्तार से इस्तीफे हो रहे हैं, अगर यही जारी रहा तो सरकार को “यात्रा भत्ता बढ़ाने” के लिए अलग से बजट बनाना पड़ सकता है।
तो कुल मिलाकर, महाराष्ट्र की राजनीति अब सिर्फ कुर्सी और जिले के साइज पर टिक गई है। बड़े नेता, बड़े जिले – छोटे नेता, छोटे जिले। और जनता? वो बस देख रही है, कि अगला इस्तीफा कौन देगा और अगला बहाना क्या होगा!

VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।