
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सीमा संघर्ष के बाद 10 मई को युद्धविराम (सीजफायर) की घोषणा हुई, लेकिन उससे पहले भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे। ये आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में सक्रिय थे और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के पीछे माने जा रहे थे, जिसमें 26 हिन्दू पर्यटकों की निर्मम हत्या की गई थी।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर का जवाब
22 अप्रैल को बैसरन घाटी, पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस आतंकी हमले में पर्यटकों से धर्म पूछकर उनकी हत्या की गई, जिससे साफ हो गया कि यह सुनियोजित सांप्रदायिक हमला था, जिसका उद्देश्य घाटी की शांति और पर्यटन को बाधित करना था।
इसके बाद भारत सरकार ने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया, जिसमें पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की गई। सेना की इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, जिससे पाकिस्तान की आतंक को प्रश्रय देने वाली नीति का पर्दाफाश हो गया।
वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की पोल खोलेगा भारत
भारत सरकार ने इस हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक सर्वदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडल गठित किया है, जो दुनियाभर में भारत का पक्ष रखेगा और पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने वाली नीति को उजागर करेगा।
हालांकि इस प्रतिनिधिमंडल को लेकर कांग्रेस ने नाराज़गी जताई है। पार्टी का आरोप है कि उनके सुझाए गए सांसदों को शामिल नहीं किया गया, जबकि केवल शशि थरूर को प्रतिनिधिमंडल में रखा गया है।
कांग्रेस की आपत्ति, थरूर की नियुक्ति पर उठे सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 मई को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर चार सांसदों के नाम सुझाए थे —
- आनंद शर्मा (पूर्व केंद्रीय मंत्री)
- गौरव गोगोई (लोकसभा उपनेता)
- डॉ. सैयद नासिर हुसैन (राज्यसभा सांसद)
- अमरिंदर सिंह राजा वडिंग (लोकसभा सांसद)
परंतु इनमें से किसी को भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इस पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार विपक्ष को दरकिनार कर रही है और चयन में पक्षपात कर रही है।
पाकिस्तान का असली चेहरा आया सामने
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को आतंकियों के जनाज़ों में देखा गया, जिसने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तानी सेना और सरकार आतंकियों के संरक्षक हैं। इसी को लेकर भारत सरकार ने रणनीति बनाई है कि दुनियाभर में सांसदों का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की असलियत को बेनकाब करेगा।
सख्त कदमों में शामिल हैं:
- सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार
- भारत में रह रहे पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का आदेश
- आतंकी फंडिंग नेटवर्क पर कड़ी निगरानी
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ दस्तावेज़ी सबूत पेश करना