श्रीनगर | 11 मई 2025 — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने राज्य के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया है। इस हमले को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “सालों की मेहनत एक ही हमले में बर्बाद हो गई है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने जानबूझकर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की रणनीति अपनाई है ताकि शांति और विकास की प्रक्रिया को बाधित किया जा सके। हमले के बाद घाटी फिर से खून, अशांति और भय के माहौल में लौटती नजर आ रही है।
हमले ने वर्षों की मेहनत मिट्टी में मिला दी: उमर
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा:
“हमने कश्मीर की सूरत बदलने के लिए वर्षों तक पर्यटन और शांति बहाली पर काम किया। लेकिन पहलगाम में हुए एक हमले ने सारी कोशिशों को ध्वस्त कर दिया।”
उन्होंने कहा कि यह हमला ऐसे समय हुआ, जब कश्मीर की पर्यटन व्यवस्था कोविड और उथल-पुथल के वर्षों बाद पहली बार सामान्य होती दिख रही थी।
पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका, घाटी फिर वीरान
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आमतौर पर मई-जून में कश्मीर घाटी पर्यटकों से गुलजार रहती है। “अगर यह हमला न होता, तो आज हमारे स्कूलों में बच्चे होते, एयरपोर्ट पर रोज 50-60 फ्लाइट्स उतरतीं, होटल और हाउसबोट्स में बुकिंग फुल होती। लेकिन अब स्कूल बंद हैं, एयरस्पेस बंद है, घाटी खाली हो चुकी है।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर के हजारों लोगों की आजीविका पर्यटन पर निर्भर है और इस हमले ने उनके लिए हालात फिर कठिन बना दिए हैं।
पाकिस्तान की चाल और अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर
सीएम ने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने जानबूझकर इस हमले के जरिए कश्मीर को फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश की है।
“पाकिस्तान को अब एक बार फिर दुनिया के सामने कश्मीर पर बोलने का मौका मिल गया है। अमेरिका भी खुद को इस मुद्दे में घुसाने की कोशिश कर रहा है।”
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर की सराहना करते हुए कश्मीर मुद्दे का हल तलाशने में मदद का प्रस्ताव दिया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर ने कहा कि “यह सब पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा है, और हमला इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया गया।”
❝ “सब कुछ बदल गया है, पर फिर भी कुछ नहीं बदला” ❞
अपनी बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा:
“हम एक बार फिर वहीं लौट आए हैं, जहां से निकलने में हमें सालों लग गए थे – खून, पीड़ा, वीरानी और अनिश्चितता के बीच। सब कुछ बदला दिखता है, लेकिन असल में कुछ भी नहीं बदला।”
क्या अब केंद्र सरकार कोई ठोस रणनीति अपनाएगी?
इस हमले ने केंद्र सरकार के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब सवाल यह है कि क्या पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने और घाटी में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए कोई दीर्घकालिक योजना बनाई जाएगी?