
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार से सावधानीपूर्वक और मानवीय तरीके से प्रतिक्रिया देने की अपील की है। उन्होंने सरकार को चेताया कि अगर अंधाधुंध कार्रवाई जारी रही तो इसका फायदा आतंक फैलाने वाली ताकतें उठा सकती हैं।
“न्याय और विश्वास सबसे बड़े हथियार हैं”
महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा:
“न्याय और विश्वास ही आतंकवाद के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार हैं। अगर निर्दोष नागरिकों के खिलाफ अत्यधिक कार्रवाई की गई, तो इससे आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर होगी और कश्मीरियों के बीच अविश्वास पैदा होगा।”
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह टारगेटेड और साक्ष्य-आधारित अभियानों पर ध्यान दे, जिससे निर्दोष नागरिकों को आतंकवाद विरोधी अभियानों का खामियाजा न भुगतना पड़े।
पहलगाम हमले के बाद उठी मानवाधिकारों की चिंता
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद, कश्मीर घाटी में सख्त सुरक्षा अभियान चल रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, सैकड़ों कश्मीरियों को हिरासत में लिया गया है और कई घरों को ध्वस्त किया गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा मुफ्ती ने गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि:
“आम नागरिकों के खिलाफ की जा रही अंधाधुंध कार्रवाई न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इससे आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष भी कमजोर होता है।”
“टारगेटेड एक्शन और पारदर्शी जांच होनी चाहिए”
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से मांग की:
- सिर्फ साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तारी और कार्रवाई हो।
- मानवाधिकारों और नागरिकों की गरिमा की रक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
- निर्दोष लोगों को गलत तरीके से निशाना बनाने से बचने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच प्रक्रिया अपनाई जाए।
उन्होंने आगाह किया कि व्यापक और बेतरतीब दमन से आक्रोश और अलगाव बढ़ेगा, जिससे उन ताकतों को बल मिलेगा जो कश्मीर में डर और अस्थिरता फैलाना चाहती हैं।
स्थानीय समुदायों के साथ संवाद की वकालत
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि शांति और स्थिरता के लिए स्थानीय समुदायों के साथ संवाद और विश्वास बहाली की प्रक्रिया को फिर से शुरू करना होगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह आम कश्मीरियों के दिलों को जीतने के लिए:
- समुदायों से प्रत्यक्ष संवाद करें।
- उनकी चिंताओं को गंभीरता से लें।
- भविष्य के लिए न्यायपूर्ण और सम्मानजनक वातावरण तैयार करें।
महबूबा मुफ्ती का संदेश स्पष्ट है — अंधाधुंध दमन नहीं, बल्कि न्याय, विश्वास और सम्मान के रास्ते से ही जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति लाई जा सकती है। केंद्र सरकार के लिए यह एक चेतावनी भी है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यदि मानवाधिकारों की अनदेखी की गई, तो यह रणनीति स्वयं के खिलाफ काम कर सकती है।