
लखनऊ में पुलिस और वकील एक बार फिर से आमने-सामने आ गए हैं। वकीलों ने प्रदेशव्यापी आंदोलन की धमकी दी है। इस धमकी के बाद लखनऊ के जेसीपी लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र अग्रवाल को हटाया गया है। यह मामला 8 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचा था। सेंट्रल बार एसोसिएशन लखनऊ ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे को उठाया था।
विवाद की शुरुआत
चिट्ठी के अनुसार, जेसीपी लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र अग्रवाल ने 112 वकीलों का नाम उनके खिलाफ दर्ज अपराधों के साथ बार काउंसिल को भेजा था। इस सूची में पारिवारिक और किराएदारी के मुकदमे भी शामिल थे। इसके बाद बार एसोसिएशन ने मानहानि के मुकदमे और प्रदेशव्यापी आंदोलन की धमकी दी थी। बार ने एक पुलिस सेल बनाने की भी मांग की थी, जिससे आपराधिक और कब्जेदारी के मामलों में दर्ज पुलिसकर्मियों का ब्योरा सामने आ सके।
उपेंद्र अग्रवाल को हटाने का आदेश
20 जुलाई को उपेंद्र अग्रवाल को उनके पद से हटाकर ईओडब्लू भेज दिया गया था। अब बार एसोसिएशन ने उनके आदेशों के आधार पर दर्ज की गई सभी एफआईआर की जांच की मांग की है। उनका दावा है कि उपेंद्र अग्रवाल ने नियमों को ताक पर रखकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
बार एसोसिएशन का आरोप
सीएम को लिखी चिट्ठी में बार एसोसिएशन ने लिखा कि अधिवक्ताओं का पंजीकरण निरस्त करने का आग्रह पुलिस द्वारा किया गया है। लेकिन बाद में उपेंद्र अग्रवाल ने उक्त सूची का खंडन किया। चिट्ठी में आगे लिखा है कि इस सूची के वायरल होने से अधिवक्ताओं को मानसिक आघात और मान-सम्मान को ठेस पहुंची है। ऐसी स्थिति में सूची की जांच कराकर दोषी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
मामला अभी भी गरम
हालांकि, उपेंद्र अग्रवाल को हटाए जाने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है। वकीलों की मांगें और प्रदेशव्यापी आंदोलन की धमकी के चलते यह मुद्दा अभी भी चर्चा में बना हुआ है।

VIKAS TRIPATHI
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