
ईडी को झटका, अमित कत्याल की जमानत रद्द करने की याचिका खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कारोबारी अमित कत्याल को दी गई ज़मानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा – “जब मुख्य आरोपी आज़ाद घूम रहे हैं, तो ईडी छोटी मछलियों के पीछे क्यों पड़ी है?”
जमानत पर सवाल नहीं, जांच के तरीकों पर सवाल
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने कहा कि वे हाई कोर्ट के फैसले में दखल नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से तीखे सवाल पूछते हुए कहा,
“कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। यदि इस घोटाले के मुख्य आरोपी आज़ाद हैं, तो छोटे लोगों को निशाना बनाने का क्या मतलब है? क्या आप बड़े नामों पर हाथ डालने से डरते हैं?”
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाई कोर्ट के आदेश को “कानून के विपरीत” बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इससे सहमत नहीं हुआ।
कौन हैं अमित कत्याल?
अमित कत्याल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं। ईडी ने उन्हें 10 नवंबर 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 सितंबर 2023 को उन्हें 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की दो जमानतों पर रिहा कर दिया था।
घोटाले की जड़ें कहां हैं?
यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य जोन में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से जुड़ा है।
ये नियुक्तियां 2004 से 2009 के बीच उस समय की गई थीं जब लालू यादव रेल मंत्री थे।
ईडी का आरोप है कि इन नियुक्तियों के बदले में लालू परिवार या उनके सहयोगियों को ज़मीनें उपहार में दी गईं या हस्तांतरित की गईं।
सुप्रीम कोर्ट का संकेत – एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि एजेंसियों को केवल चुनिंदा लोगों को निशाना बनाना बंद करना चाहिए।
“11 अन्य आरोपियों को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?”, कोर्ट का यह सवाल ईडी की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से साफ है कि अब केवल “नाम” और “पद” के आधार पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को न्यायपालिका आंख मूंदकर स्वीकार नहीं करेगी।
अब वक्त है कि सिस्टम में समानता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जाए — वरना ‘लैंड फॉर जॉब’ जैसे घोटालों की सच्चाई सिर्फ ‘छोटी मछलियों’ तक ही सीमित रह जाएगी।

VIKAS TRIPATHI
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