
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जिला अदालतों, ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली के ये घटक अधीनस्थ नहीं हैं, बल्कि न्याय वितरण प्रणाली की रीढ़ हैं। सिब्बल ने यह बातें जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कहीं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे।
जिला अदालतें: न्याय प्रणाली की महत्वपूर्ण कड़ी
सिब्बल ने अपने संबोधन में कहा कि जिला अदालतों को अधीनस्थ नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि वे न्याय प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली को इस स्तर पर अदालतों के निर्णयों पर विश्वास होना चाहिए, ताकि न्यायाधीश बिना डर या पक्षपात के न्याय कर सकें। सिब्बल ने यह भी कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने के मामलों की संख्या बेहद कम है, जो चिंता का विषय है।
स्वतंत्रता और लोकतंत्र की गुणवत्ता पर असर
सिब्बल ने कहा कि स्वतंत्रता एक संपन्न लोकतंत्र की मूलभूत आधारशिला है, और इसे कमजोर करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि निचली अदालतों को स्वतंत्र और आत्मविश्वास से भरा होना चाहिए ताकि वे बिना किसी बाहरी दबाव के न्याय कर सकें।
पीएम मोदी और CJI का संबोधन
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी इस अवसर पर जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कहने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका कानून का महत्वपूर्ण घटक है, और यह महत्वपूर्ण है कि नागरिकों को सबसे पहले यहीं से न्याय प्राप्त हो। उन्होंने जोर दिया कि न्यायिक प्रणाली की गुणवत्ता और नागरिकों का न्यायपालिका पर भरोसा जिला अदालतों की कार्यशैली और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

VIKAS TRIPATHI
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