
Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की खबर आई तो लगा कि बस कोई मामूली हादसा हुआ होगा। लेकिन जब फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची और अंदर का नज़ारा देखा, तो हर किसी की आंखें हैरानी से खुली की खुली रह गईं। तीन-चार बोरो में रखे नोट जल रहे थे! अब ये जलती हुई करेंसी कौन थी, कहां से आई, और इस आग का ‘राजनीतिक तापमान’ कितना बढ़ाएगी—इस पर देश की राजनीति से लेकर न्यायपालिका तक में बवाल मचा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का ‘धुआं-धुआं’ फैसला!
आग की लपटों के साथ जले हुए नोटों की यह ‘गाथा’ इतनी आगे बढ़ी कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तुरंत जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश कर दी। यानी, जब तक आग बुझी, तब तक फैसला आ गया!
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने फौरन एक हाई-प्रोफाइल जांच कमेटी गठित कर दी, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन को शामिल किया गया।
इस टीम ने जब नई दिल्ली के तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित सरकारी आवास की छानबीन की, तो पूरे देश की मीडिया और जनता के कान खड़े हो गए—आखिर जले हुए नोटों की यह ‘रहस्य कथा’ क्या है?
सर्वदलीय बैठक: चर्चा बहुत, हल शून्य!
जस्टिस वर्मा के घर से जले हुए नोटों की बरामदगी का मामला राजनीतिक गलियारों में भी खूब गरमा गया। आनन-फानन में राज्यसभा के सभापति की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें सभी प्रमुख दलों के फ्लोर लीडर्स शामिल हुए। लेकिन नतीजा? वही ढाक के तीन पात!
बैठक पूरे एक घंटे चली, खूब चर्चा हुई, तर्क-वितर्क भी हुआ, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं निकल पाया। अब नेताओं ने तय किया है कि पहले अपनी-अपनी पार्टियों में इस मुद्दे पर विचार करेंगे और फिर अगली बैठक में ‘राय’ बनाएंगे। मतलब, फैसले से पहले लंबा ‘राजनीतिक धुआं’ उठने वाला है!
कांग्रेस का ‘संशय भरा’ स्टैंड!
कांग्रेस ने इस पूरे मामले को लेकर सोमवार को एक आंतरिक बैठक की, जिसके बाद पार्टी का रुख सामने आया—
1️⃣ जांच कमेटी को यह साफ करना चाहिए कि जली हुई नकदी किसकी थी और कहां से आई?
2️⃣ क्या यह कोई पुराने केस से जुड़ा मामला था?
3️⃣ अगर ये नोट वैध थे, तो रिकॉर्ड में क्यों नहीं थे?
4️⃣ अगर नोट जल गए, तो एफआईआर क्यों नहीं हुई?
5️⃣ जब तक जांच पूरी नहीं होती, जस्टिस वर्मा को ‘होल्ड’ पर रखा जाए!
कुल मिलाकर, कांग्रेस ने राजनीतिक सधी हुई चाल चली है—न समर्थन, न विरोध, बस जांच का इंतजार!
जांच टीम पहुंची जस्टिस वर्मा के आवास, क्या मिला?
मंगलवार को जांच कमेटी जस्टिस वर्मा के आवास पर पहुंची और करीब 45 मिनट तक जांच-पड़ताल करती रही। सवाल यह है कि इतने बड़े ‘आग कांड’ के बाद कमेटी को वहां से कौन-सा सुराग मिला?
1️⃣ नोटों का पूरा हिसाब-किताब कहां है?
2️⃣ आग लगने के पीछे असली वजह क्या थी—इत्तेफाक या जानबूझकर?
3️⃣ क्या यह किसी बड़े ‘खेल’ का हिस्सा था?
इन सवालों के जवाब अब जांच कमेटी के पास ही हैं।
तो आखिर सच क्या है?
14 मार्च की रात करीब 11 बजे जस्टिस वर्मा के घर आग लगी। फायर ब्रिगेड आई, आग बुझी, और फिर जो सामने आया, वो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था—बोरों में जले हुए नोट!
फिर, देखते ही देखते मामला सीधे CJI, MHA और दिल्ली पुलिस कमिश्नर तक पहुंच गया। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, तो साफ है कि यह मामला ‘जलकर राख’ नहीं होगा, बल्कि इसमें कुछ और ‘गर्म खुलासे’ होने बाकी हैं।
अब देखना यह है कि आग में जले नोटों की ‘लपटें’ किसे-किसे झुलसाती हैं—सिर्फ जस्टिस वर्मा को, या फिर इस ‘धुंए’ के पीछे कोई बड़ा नाम भी छुपा है?

VIKAS TRIPATHI
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