
जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पहला पूर्ण बजट पेश किया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने न केवल आगामी खर्च और विकास योजनाओं का ब्योरा दिया, बल्कि राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति और कर्ज के बढ़ते बोझ पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विधानसभा में बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार पर कुल 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।
यह जानकारी उन्होंने पीपुल्स पार्टी के विधायक सज्जाद गनी लोन के सवाल के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि सरकार इस कर्ज को कम करने और वित्तीय संतुलन बनाए रखने के लिए व्यापक सुधारों और वित्तीय अनुशासन की रणनीति अपना रही है।
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राज्य के कर्ज का विस्तृत ब्योरा
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि यह कर्ज विभिन्न स्रोतों से लिया गया है, जिसमें सरकारी और निजी ऋण दोनों शामिल हैं। राज्य पर कुल ₹1,25,205 करोड़ का कर्ज है, जो जम्मू-कश्मीर के जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) ₹2,38,677 करोड़ का 52% है।
मुख्य ऋण स्रोत और बकाया राशि
🔹 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और राज्य विकास ऋण – ₹69,894 करोड़
🔹 सामान्य भविष्य निधि (GPF) बकाया – ₹27,901 करोड़
🔹 रिजर्व फंड (Reserve Fund) – ₹14,294 करोड़
🔹 राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) बकाया – ₹5,758 करोड़
🔹 समझौता ऋण (Settlement Loans) – ₹4,032 करोड़
🔹 उदय बिजली ऋण (UDAY Power Loans) – ₹2,616 करोड़
🔹 भारत सरकार से अग्रिम राशि – ₹710 करोड़
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने बताया कि 27 फरवरी 2025 तक राज्य के कोषागारों में कुल बकाया देयता ₹5,429.49 करोड़ होगी, जिसे चुकाने की योजना बनाई जा रही है।
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कर्ज का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और सरकार की रणनीति
गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (ESR) 2024-25 के अनुसार, राज्य का कुल बजटीय कर्ज ₹83,010 करोड़ है, जो कुल कर्ज का 66% हिस्सा बनाता है। इसमें:
✅ ₹82,300 करोड़ का आंतरिक ऋण
✅ ₹710 करोड़ भारत सरकार से अग्रिम राशि
✅ ₹27,901 करोड़ का भविष्य निधि (GPF) ऋण, जो कुल कर्ज का 21% है
सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य की वित्तीय स्थिति दबाव में है, लेकिन कर्ज को नियंत्रित करने और विकास परियोजनाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए नई नीतियों और सुधारों पर काम किया जा रहा है।
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार पेश हुआ बजट
यह बजट खास इसलिए भी है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार पूर्ण बजट विधानसभा में पेश किया गया। उमर अब्दुल्ला ने छह साल बाद राज्य का पहला पूर्ण बजट प्रस्तुत किया और इसे जम्मू-कश्मीर के आर्थिक पुनर्निर्माण का रोडमैप बताया।
🔸 2025-26 के लिए कुल बजट – ₹1.12 लाख करोड़
🔸 इसमें राज्य के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
🔸 सरकार का लक्ष्य राजस्व वृद्धि और व्यय प्रबंधन के माध्यम से आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों के जरिए न केवल कर्ज को कम करेगी, बल्कि वित्तीय अनुशासन के साथ राज्य के विकास को भी गति देगी।
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
राज्य की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बढ़ता बोझ वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता को दर्शाता है। उमर अब्दुल्ला सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियाँ होंगी:
✅ राजस्व बढ़ाने के उपाय – पर्यटन, उद्योग और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना
✅ वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता – गैर-जरूरी खर्चों में कटौती और सरकारी खर्च का प्रभावी प्रबंधन
✅ नई आर्थिक नीतियाँ – निजी निवेश को आकर्षित करना और केंद्र सरकार की मदद से वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार राज्य के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठा रही है और आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर को एक आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने का लक्ष्य है।
जम्मू-कश्मीर पर 1.25 लाख करोड़ रुपये के बढ़ते कर्ज के बावजूद, सरकार ने आर्थिक संतुलन बनाए रखने और वित्तीय सुधार लाने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य की आर्थिक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए विकास और राजस्व वृद्धि पर जोर दिया।
आने वाले वर्षों में वित्तीय अनुशासन और आर्थिक नीतियों की सफलता पर ही राज्य की प्रगति निर्भर करेगी। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि सरकार अपने बजटीय वादों को कैसे पूरा करती है और कर्ज के बोझ को किस हद तक कम कर पाती है।

VIKAS TRIPATHI
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