
प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के पूर्व प्रमुख संजीव चोपड़ा ने कहा है कि जो लोग फर्जी जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्रों का उपयोग करके प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होते हैं, उन्हें सिर्फ बर्खास्त करना ही पर्याप्त नहीं है। चोपड़ा ने जोर देकर कहा कि ऐसे लोगों से प्रशिक्षण लागत और वेतन भी वसूला जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाएं
पूजा खेडकर के मामले के सामने आने के बाद, सोशल मीडिया पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बारे में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने ऐसे अधिकारियों की जानकारी भी साझा की है, जिन्होंने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर दिखाने के लिए नकली प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किया है।
चोपड़ा ने दिया सुझाव
एलबीएसएनएए के पूर्व प्रमुख संजीव चोपड़ा ने कहा, “यह प्रणाली में एक गंभीर खराबी है। जो भी ऐसा करता है, उसे सिर्फ बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उससे प्रशिक्षण लागत और वेतन भी वसूला जाना चाहिए। उन्हें सजा मिलनी चाहिए ताकि सभी अधिकारियों को एक स्पष्ट संकेत मिल सके। जो भी इस प्रक्रिया में उनकी मदद करता है, उसकी जांच की जानी चाहिए। धोखाधड़ी में शामिल सभी लोगों को कानून के अनुसार दंड दिया जाना चाहिए।”
संजीव चोपड़ा ने इन बातों पर जोर दिया
प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर के मामले में संजीव चोपड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार की तथ्य खोज समिति (फैक्ट फाइंडिंग कमेटी) को पूरे मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए। चोपड़ा ने इस मामले में तीन मुख्य बातों पर जोर दिया। पहला, पूजा खेडकर के पुणे में नियुक्ति के दौरान दुर्व्यवहार से जुड़ा है, जिसे राज्य सरकार द्वारा देखा जा रहा है। दूसरा पहलू, फर्जी प्रमाणपत्रों का है, जिसकी जांच के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जांच समिति का गठन किया गया है। चोपड़ा के अनुसार, तीसरा और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि क्या प्रणाली में गड़बड़ी है? उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रणाली की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए इस मामले की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए।
पूजा खेडकर विवाद क्या है?
2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर पुणे में प्रशिक्षण के दौरान अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पूजा ने अपनी नियुक्ति के बाद तरह-तरह की सुविधाएं मांगनी शुरू कर दीं, जो प्रशिक्षु अधिकारियों को नहीं मिलती हैं। इतना ही नहीं, पूजा ने अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती भी लगा दी थी।

VIKAS TRIPATHI
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