
आईएएस टीना डाबी:
राजस्थान कैडर की 2015 बैच की आईएएस अधिकारी टीना डाबी एक बार फिर चर्चा में हैं। टीना डाबी का चर्चा में बने रहना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार वे एक किताब की वजह से सुर्खियों में हैं। हाल ही में प्रकाशित इस किताब के कवर पर टीना डाबी की खूबसूरत तस्वीर छपी है। किताब के मार्केट में आते ही टीना डाबी फिर से चर्चा का विषय बन गईं।
टीना डाबी का चर्चाओं से पुराना नाता
राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी टीना डाबी पहली बार 2015 में चर्चा में आईं थीं। उस वर्ष टीना ने भारत की सबसे प्रतिष्ठित आईएएस परीक्षा में टॉप किया था। वह यूपीएससी परीक्षा में पहले प्रयास में टॉप करने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी भी हैं। इसके बाद, 2018 में वह फिर चर्चा में आईं जब उन्होंने अपने सहयोगी अतहर आमिर से शादी कर ली। हालांकि, कुछ ही समय बाद उनका तलाक हो गया और वे फिर चर्चा में आ गईं। जैसलमेर में जिला कलेक्टर रहते हुए भी वे अपने कार्यों की वजह से चर्चा में रहीं, विशेष रूप से विस्थापितों के पुनर्वास के काम के लिए।
एक बार फिर शुरू हुई चर्चा
इस बार टीना डाबी एक किताब के कवर पर छपी अपनी फोटो के कारण चर्चा में हैं। राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले पाकिस्तान से आए हिंदू विस्थापितों के प्रति टीना डाबी के कार्यों को लेकर उनके दिलों में आज भी बहुत सम्मान है। पूर्व कलेक्टर डाबी द्वारा किए गए पुनर्वास कार्य आज भी उन विस्थापितों की यादों में ताजा हैं।
एक पाकिस्तानी विस्थापित परिवार, जिसने 20 साल पहले पाकिस्तान में अत्याचारों से तंग आकर भारत में शरण ली थी, टीना डाबी के कार्यों से इतना प्रभावित हुआ कि उन्होंने ‘पुनर्वासी भील’ नामक एक किताब लिखी। इस किताब के कवर पर टीना डाबी की तस्वीर छपी है। मात्र 199 रुपये की यह 82 पेज की किताब अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है।
मई 2023 में जैसलमेर से 5 किलोमीटर दूर अमरसागर तालाब के कैचमेंट एरिया में बसे हुए करीब 4 दर्जन से अधिक हिंदू पाकिस्तानी विस्थापितों को टीना डाबी ने अतिक्रमण मानते हुए बेदखल किया था। इस घटना के बाद काफी विवाद हुआ, लेकिन टीना डाबी ने इन्हें 7 किलोमीटर दूर मूलसागर में 40 बीघा जमीन देकर पुनर्वास किया और उनके लिए खाने-पीने का इंतजाम भी करवाया। यह संभवतः देश का पहला मामला था जिसमें हिंदू पाकिस्तानी विस्थापितों को राज्य सरकार के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा पुनर्वास किया गया।
किताब और विवाद
इस किताब के कवर पर टीना डाबी की फोटो छापकर लेखक किशन राज भील ने उन्हें सम्मानित किया है। हालांकि, टीना डाबी का कहना है कि उनसे कवर फोटो छापने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी। लेखक ने कहा कि उन्होंने टीना मैडम से संपर्क करने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उनके प्रति श्रद्धा और आस्था के कारण उन्होंने यह फोटो कवर पर छाप दिया। अगर टीना डाबी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती हैं, तो उन्हें स्वीकार होगा।
अब बात करें किताब की तो जैसलमेर के गजरूपसागर में पाकिस्तानी विस्थापितों की बस्ती में निवास कर रहे किशन राज भील ने बताया कि वे पत्थर का काम करते हैं। उन्होंने ‘पुनर्वासी भील’ नामक एक पुस्तक लिखी है। इस 82 पृष्ठ और 6 अध्याय वाली पुस्तक में अखबारों की कटिंग के साथ ही तथ्यात्मक आंकड़ों, पाकिस्तान में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों और भारत में मिलने वाली सुविधाओं तथा यहां आने वाली कठिनाइयों का भी जिक्र किया गया है।

VIKAS TRIPATHI
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