
IAS Story: प्रफुल देसाई और विकलांगता प्रमाण पत्र विवाद
यूपीएससी की परीक्षा में उम्मीदवारों द्वारा सबमिट किए गए विकलांगता प्रमाण पत्र को लेकर खबरें सामने आती रहती हैं। इस बार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा तेलंगाना के आईएएस अधिकारी प्रफुल देसाई (Praful Desai) पर सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण पाने के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र में जालसाजी करने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले महाराष्ट्र में प्रोबेशनरी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) पर भी इसी तरह के आरोप लगे थे। इस विवाद के बाद से प्रफुल देसाई चर्चा में बने हुए हैं।
UPSC में हासिल की 532वीं रैंक
वर्ष 2019 में आयोजित यूपीएससी परीक्षा में 532वीं रैंक लाने वाले प्रफुल देसाई के खिलाफ ये आरोप तब सामने आए, जब उन्होंने घुड़सवारी सहित साहसिक खेलों में भाग लेते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं। वह वर्तमान में करीमनगर के एडिशनल कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। देसाई पर यूपीएससी परीक्षा के लिए ओएच (ऑर्थोपेडिकली हैंडीकैप्ड) कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है।
देसाई का बचाव
प्रफुल देसाई ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि उनका एक पैर विकलांग है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह शारीरिक गतिविधियों में बिल्कुल भी शामिल नहीं हो सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि इनमें से कई गतिविधियां उनके ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा थीं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देसाई की मेडिकल रिपोर्ट में पोलियो के कारण उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत है और बाएं पैर में 45 प्रतिशत विकलांगता है। देसाई ने कहा कि उनके एक पैर में पोलियो है, जिसके कारण वे दौड़ नहीं सकते, लेकिन चल सकते हैं और साइकिल चला सकते हैं।
वायरल तस्वीरें और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
देसाई की वायरल हो रही तस्वीरें उनके इंस्टाग्राम हैंडल पर हैदराबाद के एक टेनिस कोर्ट में दोस्तों के साथ सेल्फी लेते हुए, देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में साइकिल चलाते हुए और ऋषिकेश में एक नदी पर राफ्टिंग करते हुए नजर आ रहे हैं। एक अन्य तस्वीर में देसाई केम्प्टी फॉल्स से 30 किलोमीटर साइकिल चलाने की थी।
सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों की आलोचना करते हुए एक यूजर ने लिखा, “UPSC में किसी तरह की जादुई शक्ति है। एक IAS अधिकारी जो चयन से पहले ऑर्थोपेडिक रूप से विकलांग था, अब नदी में राफ्टिंग, साइकिल चलाना और मीलों तक ट्रेकिंग करते हुए देखा जा सकता है। UPSC असली अस्पताल है।”
देसाई का स्पष्टीकरण

प्रफुल देसाई ने स्पष्ट किया कि उनकी विकलांगता का मतलब यह नहीं है कि वह बिल्कुल नहीं चल सकते। उन्होंने कहा, “मैं नियमित बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं हूं, लेकिन कभी-कभी अपने बैचमेट्स के साथ खेलता हूं। पहाड़ों में ट्रेकिंग हमारे ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा था।” उन्होंने बताया कि राफ्टिंग और घुड़सवारी की तस्वीरें भी उनके ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा थीं।
सोशल मीडिया अकाउंट किया प्राइवेट
देसाई ने बताया कि उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट प्राइवेट करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि लोगों ने उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल कर अलग-अलग कहानियां बनाई हैं। उन्होंने कहा, “मेरा परिवार आशंकित था और मुझे धमकाने की कोशिश की गई। मेरे पास सोशल मीडिया अकाउंट प्राइवेट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।”
IAS बनने से पहले की यात्रा
प्रफुल देसाई कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक किसान परिवार से हैं। पांच साल की उम्र में उनका बायां पैर पोलियो से संक्रमित हो गया था। UPSC में शामिल होने से पहले देसाई ने कर्नाटक सिंचाई विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में काम किया था।
तीसरे प्रयास में बने IAS Officer
प्रफुल देसाई ने वर्ष 2017 में UPSC की परीक्षा में पहली बार शामिल हुए थे, लेकिन प्रीलिम्स परीक्षा भी नहीं पास कर पाए थे। 2018 में दूसरे प्रयास में उन्होंने इंटरव्यू पास किया, लेकिन मुख्य परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के कारण वह सफल नहीं हो सके। 2019 में तीसरे प्रयास में देसाई ने IAS Officer बनने में सफलता पाई और ऑल इंडिया रैंक 532 हासिल की।

VIKAS TRIPATHI
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