
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान साधना (PM Modi Meditation) में भाग लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने 45 घंटे तक रॉक मेमोरियल में ध्यान में लगने का विचार किया है। इस समय के दौरान वे न तो खाने का सेवन करेंगे और न ही पानी पीएंगे। उनकी इस ध्यान साधना के बारे में कई चर्चाएं हो रही हैं।
PM मोदी की ध्यान साधना का मुख्य उद्देश्य क्या है, इस पर लोगों की राय विभिन्न है। कुछ लोगों का मानना है कि यह ध्यान साधना एकांतता और आत्म–परमात्मा की खोज का एक उपाय है, जबकि कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दे के रूप में देख रहे हैं।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल का महत्व क्या है, इसके बारे में भी कुछ जानकारी होनी चाहिए। यह स्थान सातवें सागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के मिलन स्थल पर स्थित है। यहाँ पर स्वामी विवेकानंद के नाम पर बनाया गया है, जो एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत और वेदांती थे।
मोदी जी का इस स्थान का चयन क्यों है, यह भी जानने लायक है। क्या यह उनका धार्मिक आदर्शों के प्रति समर्पण का प्रतीक है, या फिर राजनीतिक उद्देश्यों का हिस्सा है, इस पर विचार किया जा सकता है।
साथ ही, एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या PM मोदी की ध्यान साधना का मीडिया पर प्रचार प्रसार चुनावी नियमों के उल्लंघन का हिस्सा है।

इन सभी मुद्दों पर सोच–विचार करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ध्यान साधना (PM Modi Meditation) में लगे हुए हैं। PM मोदी 45 घंटे तक रॉक मैमोरियल में ध्यान साधना में व्यस्त रहेंगे। PM मोदी ध्यान साधना (PM Modi Meditation) के दौरान उन्होंने न तो जल ग्रहण किया और न ही 45 घंटे तक भोजन किया। इस अवधि में PM मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) के बारे में विभिन्न चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसके अलावा, राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है।
PM Modi Meditation की ध्यान साधना क्या है
भारत में सातवें और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव जून को होने वाले हैं। चुनाव प्रचार का समय सीमा समाप्त होते ही प्रधानमंत्री मोदी ध्यान हेतु तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे। प्रधानमंत्री ने वहां पहुंचकर श्री भगवती अम्मन टेंपल, जिन्हें देवी कन्याकुमारी भी कहा जाता है, में पूजा अर्चना की और फिर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे। वहां मोदी 45 घंटे की मौन साधना (PM Modi Meditation) करेंगे।
प्रधानमंत्री 1 जून की शाम तक स्मारक के ध्यान कक्ष में रहेंगे। पहले भी 2019 में चुनाव प्रचार के बाद PM Modi बाबा केदारनाथ की गुफा में ध्यान समाधि के लिए गए थे जहां से ध्यान और पूजा के समाचार आए थे। विपक्ष का आरोप है कि मोदी जी एकान्त में ध्यान के लिए जाते हैं तो साथ में कैमरे क्यों ले जाते हैं? क्या यह PM मोदी का साइलेंट प्रचार का तरीका है? इस बार भी कुछ ऐसा ही है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर मोदी जी के ध्यान योग को कवर करने के लिए न्यूज़ मीडिया वहां पहुंच चुका है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी चुनावी सभा में कहा है कि यदि मोदी जी की ध्यान योग की तस्वीरें व खबरें टीवी चैनलों पर दिखाई जाएंगी तो वह चुनाव आयोग में आचरण संहिता के उल्लंघन के संबंध में इसकी शिकायत करेंगी क्योंकि चुनाव प्रचार का समय समाप्त हो चुका है और अब चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता।
PM मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) में भाग लेने आए गुजरात लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य एस आर पाटनी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को श्री भगवति अम्मन मंदिर में दर्शन और चट्टान पर ध्यान लगाने के बाद भारत माता के दर्शन हुए थे। इसी तरह मोदी जी जो स्वामी विवेकानंद के प्रबल अनुयाई हैं अपने ध्यान के बाद नए और विकसित भारत के लिए कई विचार लेकर आएंगे। भाजपा के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने आध्यात्मिक प्रवास के लिए कन्याकुमारी को चुनने का निर्णय देश के लिए स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल की प्रसिद्धता के पीछे कई कारण हैं। यह तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित है, जो कि हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के मिलन स्थल पर है। इसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत और वेदांती स्वामी विवेकानंद के नाम पर स्थापित किया गया है।
विवेकानंद का प्रारंभिक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था, और उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने प्रारंभ से ही आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाया, और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के प्रभाव से वह अधिक प्रभावित हुए।
विवेकानंद ने भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और उसकी तत्कालीन स्थितियों को समझा। उन्होंने कन्याकुमारी के वावाथुरई बीच पर पहुंचकर समुद्र में स्थित रॉक को देखा और वहाँ तीन दिनों तक ध्यान किया। इसी समय में, उन्हें एक गहरा प्रबोधन हुआ।
सन १८९३ में, विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिष्ठान बढ़ाया और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी मानवतावादी संगठन के रूप में काम कर रहा है।
यद्यपि शिकागो सम्मेलन में उन्हें बोलने के लिए केवल 2 मिनट का समय दिया गया था, किंतु उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” के साथ की, जिसने सभी का दिल जीत लिया। वेदांत दर्शन यह मानता है कि सभी जीवों में परमात्मा का अस्तित्व है, इसलिए सभी मनुष्य समान हैं और मनुष्यता की सेवा से भी परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। विवेकानंद की प्रसिद्धि एक देशभक्त सन्यासी के रूप में है और उनके जन्मदिन 12 जनवरी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” यह स्वामी विवेकानंद जी का प्रसिद्ध और लोकप्रिय नारा है।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल के निर्माण का विचार उनके जन्म शती वर्ष 1963 में आया। इसके लिए विवेकानंद स्मारक समिति का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष एकनाथ रानाडे थे, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे। इन्हीं के प्रयासों से 1970 में रॉक मेमोरियल बनकर तैयार हुआ, जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि द्वारा किया गया था। यहां पर दो मंडप हैं, जिसमें से एक का नाम विवेकानंद मंडपम और दूसरे का नाम श्रीपद मंडपम है। विवेकानंद मंडपम में विवेकानंद की मूर्ति और ध्यान के लिए हॉल है एवं श्रीपद मंडपम में देवी भगवती अम्मन के पद चिन्ह हैं। इसी के समीप तमिल के महान कवि तिरुवल्लुवर की भी 133 फीट लंबी प्रतिमा स्थापित है। राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि प्रधानमंत्री द्वारा इस स्थान का चयन साधना (पीएम मोदी ध्यान) राजनीतिक लाभ के दृष्टिकोण से किया गया है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल की प्रसिद्धता के पीछे कई कारण हैं। यह तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित है, जो कि हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के मिलन स्थल पर है। इसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत और वेदांती स्वामी विवेकानंद के नाम पर स्थापित किया गया है।
विवेकानंद का प्रारंभिक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था, और उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने प्रारंभ से ही आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाया, और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के प्रभाव से वह अधिक प्रभावित हुए।
विवेकानंद ने भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और उसकी तत्कालीन स्थितियों को समझा। उन्होंने कन्याकुमारी के वावाथुरई बीच पर पहुंचकर समुद्र में स्थित रॉक को देखा और वहाँ तीन दिनों तक ध्यान किया। इसी समय में, उन्हें एक गहरा प्रबोधन हुआ।
सन १८९३ में, विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिष्ठान बढ़ाया और सनातन र्म का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी मानवतावादी संगठन के रूप में काम कर रहा है।

कोलकाता में मोदी का रोड शो स्वामी विवेकानंद के पैतृक घर पर समाप्त हुआ। यात्रा के दौरान मोदी ने बार–बार विवेकानंद की विरासत का जिक्र किया। रामकृष्ण मिशन का भी उनके जीवन में विशेष स्थान है और विवेकानंद की शिक्षाओं ने उन्हें गहरे रूप से प्रभावित किया है। पश्चिम बंगाल की 9 सीटों पर 1 जून को चुनाव होना है, जिनमें पिछले चुनाव में भाजपा को कोई भी सीट प्राप्त नहीं हुई थी। भाजपा को उम्मीद है कि विवेकानंद के नाम की नैया चुनाव में उनका बेड़ा पार लगाएगी क्योंकि स्वामी विवेकानंद पूरे पश्चिम बंगाल में अत्यंत सम्मानित और लोकप्रिय संत के रूप में पूजनीय हैं, और अधिकांश हिंदू जनता उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करती है।
रामकृष्ण परमहंस मिशन भी अनेक प्राकृतिक और मानवीय त्रासदियों के समय जन सामान्य की सेवा में लगा रहता है और उसका बंगाल पर अत्यधिक प्रभाव है। प्रधानमंत्री की वाराणसी सीट पर भी 1 जून को चुनाव होना है। यह स्थान देवी भगवती या देवी कन्याकुमारी के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पार्वती देवी का ही एक रूप माना जाता है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी।
इस प्रकार, वाराणसी और कन्याकुमारी धार्मिक रूप से शिव और पार्वती के स्थान होने के कारण आपस में जुड़े हुए हैं। राजनीतिक हानि–लाभ के गणित के कारण ही डीएमके और कांग्रेस द्वारा पीएम मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) के मीडिया पर प्रचार–प्रसार पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग में शिकायत की गई है। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि रॉक मेमोरियल में पीएम मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) क्या गुल खिलाती है।

VIKAS TRIPATHI
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