
बुधवार को ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने एक ऐसा बयान दिया जिसने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया। उन्होंने दावा किया कि संसद भवन और इसके आसपास के क्षेत्र वक्फ संपत्ति पर बनाए गए हैं। अजमल ने यह भी कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली हवाई अड्डे तक का इलाका भी वक्फ की ज़मीन पर स्थित है। उनके इस बयान ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर पहले से गरमाई बहस को और तेज कर दिया है।
बदरुद्दीन अजमल ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “वक्फ संपत्तियों की एक सूची सामने आई है, जिसमें संसद भवन, इसके आसपास का इलाका, वसंत विहार से लेकर हवाई अड्डे तक का क्षेत्र वक्फ की ज़मीन पर बना है।” उन्होंने इस पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि बिना अनुमति के वक्फ संपत्ति का उपयोग करना न केवल अनुचित है बल्कि इससे संबंधित मंत्रालय को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि “इस मुद्दे पर वे अपनी मंत्रालय खो देंगे।”
अजमल के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उनके दावे को खारिज करते हुए इसे भ्रामक बताया है। वहीं, कई विपक्षी नेताओं ने इस दावे की सत्यता पर सवाल उठाए हैं, लेकिन यह विवाद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चल रही बहस को और तेज करने वाला साबित हो सकता है।
इससे पहले भी वक्फ संपत्तियों को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं, लेकिन इस बार यह मामला संसद भवन जैसे संवेदनशील स्थल से जुड़ा होने के कारण खासा महत्वपूर्ण हो गया है। विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखते हुए वक्फ विधेयक पर समिति की कार्यवाही में कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन होने का आरोप लगाया है।
विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि वक्फ विधेयक 2024 पर समिति की बैठक के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया। उन्होंने समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल पर पक्षपातपूर्ण तरीके से बैठक संचालित करने का आरोप लगाया, और कहा कि इस प्रक्रिया में सांसदों को अपने विचार रखने का उचित समय और मंच नहीं दिया गया।
साथ ही, एक विवादास्पद रिपोर्ट जिसमें कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाए गए थे, उसे भी बैठक में प्रस्तुत किया गया, जो वक्फ विधेयक से संबंधित नहीं थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर भी विवादित टिप्पणियों पर आपत्ति जताई गई, लेकिन उन्हें बोलने की अनुमति दी गई, जो नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है। इस मुद्दे पर सांसदों के बीच तीखी बहस हुई और विपक्षी सांसदों ने बैठक से बहिर्गमन किया।
अजमल का यह विवादास्पद बयान और विपक्षी सांसदों के आरोप वक्फ विधेयक 2024 पर पहले से ही चल रहे विवाद को और बढ़ाने का काम कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस विवाद का कैसे समाधान करती है और क्या वक्फ संपत्तियों से जुड़े इन दावों पर कोई कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाती है।
बदरुद्दीन अजमल के इस दावे ने संसद भवन और वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है। जहां एक ओर यह मामला संवेदनशील है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव और बढ़ सकता है। अब देखना यह है कि इस विवाद का राजनीतिक और कानूनी परिणाम क्या होगा।

VIKAS TRIPATHI
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