
मुहर्रम 2024: समान नागरिक संहिता पर एआईएमपीएलबी की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य कमाल फारुकी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हमें यूसीसी किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है और वे इस कानून को कोर्ट में चुनौती देंगे। फारुकी ने स्पष्ट किया कि मुस्लिमों के पर्सनल कानून में किसी भी तरह का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान का हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
धर्म पालन की स्वतंत्रता
फारुकी ने कहा कि संविधान हमें अपने धर्म का अनुसरण करने की पूरी आजादी देता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि अपने-अपने धर्म का पालन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमें संविधान से जो पर्सनल लॉ मिला है, वह हमारे कुरान मजीद के बताए अनुसार है, और उसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। फारुकी ने यह भी कहा कि तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं को गुजारा-भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी विचार किया जा रहा है और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सीएम योगी के मुहर्रम जुलूस पर बयान
कमाल फारुकी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुहर्रम पर दिए गए बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर मुहर्रम नहीं होगा, तो रामलीला, गुरुनानक जयंती आदि भी बंद होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम के लिए सड़क पर अलग-अलग नियम नहीं हो सकते हैं। देश में सभी धर्मों के लोग समान हैं और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
यूसीसी को चुनौती
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने भी यूसीसी के मामले पर कहा कि भारत विविधताओं का देश है और यहां सबको एक समान करना अशांति पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आईपीसी और सीआरपीसी के तहत कानून भी एक समान नहीं है, और संविधान में भी अपवाद हैं। इसलिए, यूसीसी को चुनौती दी जाएगी। इलियास ने सुप्रीम कोर्ट के गुजारा-भत्ता देने के फैसले को शरीयत के कानून से टकराता हुआ बताया और कहा कि यह फैसला महिलाओं के लिए और मुसीबत खड़ी करेगा।
सीएम योगी के बयान पर प्रतिक्रिया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी ने भी सीएम योगी के बयान पर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ मुहर्रम का जिक्र क्यों किया है, कावड़ यात्रा का क्यों नहीं? उत्तर प्रदेश में सड़कों पर और भी त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन मुहर्रम का जिक्र करके केवल दो समुदायों को आपस में लड़ाने की कोशिश की जा रही है। फारुकी ने कहा कि मुस्लिम सदियों से भारत में रह रहे हैं और आपसी भाईचारे के साथ रह रहे हैं। इसलिए, यदि सड़क पर मुहर्रम बंद होगा, तो कावड़ यात्रा भी बंद होनी चाहिए।

VIKAS TRIPATHI
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