Monday, August 4, 2025
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प्रयागराज कुंभ में वक्फ बोर्ड पर साधु-संतों के बयान का मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने जताया विरोध

Prayagraj Kumbh2025: प्रयागराज कुंभ मेले में साधु-संतों द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इन होर्डिंग्स पर सख्त आपत्ति जताई है। मौलाना ने कुंभ मेले की पवित्रता का हवाला देते हुए कहा है कि यह एक धार्मिक आयोजन है, जिसे राजनीति का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अखाड़ा परिषद और प्रदेश सरकार से मांग की है कि ऐसे बयानों और गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए।

होर्डिंग का विवाद

दरअसल, प्रयागराज कुंभ में जगद्गुरु रामानंदाचार्य द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स विवाद का केंद्र बने हुए हैं। इन होर्डिंग्स में लिखा गया है, “वक्फ के नाम पर संपत्ति की लूट है। धर्मनिरपेक्ष देश में यह कैसी छूट है।” इससे पहले भी रामानंदाचार्य ने “डरेंगे तो मरेंगे” जैसे विवादित होर्डिंग्स लगाए थे, जिन पर खूब चर्चा हुई थी।

मौलाना की आपत्ति

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कुंभ मेले जैसे पवित्र आयोजन को हिंदू-मुस्लिम मुद्दों का अखाड़ा बनाना निंदनीय है। उन्होंने कहा, “यह मेला आस्था और पवित्रता का प्रतीक है। साधु-संतों की जिम्मेदारी है कि वे इसे विवादित न बनाएं।” उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड का गठन जरूरतमंदों और विधवाओं की मदद के लिए हुआ था और इसमें जो भी जमीन है, वह मुसलमानों की दी हुई है। किसी हिंदू ने इसमें कोई योगदान नहीं दिया है।

सनातन बोर्ड के गठन का समर्थन

मौलाना ने कहा कि वक्फ बोर्ड की तरह ही मंदिरों और मठों की संपत्तियों की निगरानी के लिए एक सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए। उन्होंने इसका समर्थन करते हुए कहा कि यह मंदिरों और मठों की संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।

हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान

मौलाना रजवी ने साधु-संतों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे हिंदू-मुस्लिम एकता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश में फूट डालने की कोशिश करने वालों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। सरकार को ऐसे उकसाने वाले बयानों और गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

संत समाज पर सवाल

मौलाना ने साधु-संतों से अपील की कि वे धार्मिक आयोजनों को राजनीति का मंच न बनाएं और कुंभ मेले की गरिमा बनाए रखें। उन्होंने कहा, “यह मेला केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक भी है।”

इस विवाद ने कुंभ मेले की पवित्रता और धार्मिक आयोजनों में राजनीति के बढ़ते दखल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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