
शगुन परिहार, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार, ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार सज्जाद अहमद किचलू को 521 मतों से हराकर जीत दर्ज की है। शगुन को कुल 29,053 वोट मिले, जो उनके लिए एक विशेष उपलब्धि है, क्योंकि यह चुनाव जीतने से ज्यादा उनके संघर्ष और बलिदानों की कहानी को बयां करता है।
कौन हैं शगुन परिहार?
शगुन परिहार के पास इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम्स में एम.टेक की डिग्री है और वह जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, जब बीजेपी ने उन्हें आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र किश्तवाड़ से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। उनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार, जो बीजेपी नेता थे, की 1 नवंबर 2018 को पंचायत चुनावों से पहले आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
चुनाव प्रचार के दौरान शगुन ने आतंकवाद के कारण अपनों को खोने वाले लोगों के लिए लड़ाई का आह्वान किया। उन्होंने अपने पहले चुनाव अभियान में उन लोगों के बीच अंतर स्पष्ट किया जिन्होंने अत्याचार किए और व्यापार को लूटा, और उन लोगों के बीच जिन्होंने शांति और समृद्धि लाने के लिए संघर्ष किया।
बीजेपी का रणनीतिक कदम
बीजेपी द्वारा शगुन परिहार को किश्तवाड़ से उम्मीदवार बनाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम था, जिसका उद्देश्य दो धार्मिक समुदायों के बीच की खाई को पाटकर उन्हें शांति और विकास के लिए एकजुट करना था। किश्तवाड़ एक सीमावर्ती जिला है जहाँ मुस्लिम आबादी और हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय दोनों का संतुलन है, और इस तरह का फैसला बीजेपी की राजनीतिक नीति का हिस्सा रहा है।
विरासत को आगे बढ़ाते हुए
शगुन के चाचा अनिल परिहार क्षेत्र के सक्रिय नेता थे और उन्होंने आतंकवाद के चरम समय में भी मुस्लिम समुदाय से समर्थन हासिल किया था। उन्होंने 1990 के दशक में बीजेपी के डोडा बचाओ आंदोलन में भी भाग लिया, जिसमें कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी। अब शगुन परिहार इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्र में शांति और विकास का संदेश लेकर चल रही हैं।

VIKAS TRIPATHI
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