
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लैंड विभाग में अरबों रुपये के भूमि घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले की जांच तहसीलदार शेर बहादुर सिंह और चकबंदी अधिकारी शैलेन्द्र कुमार शाही द्वारा की गई है। उनकी रिपोर्ट प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी को सौंप दी गई है। सीईओ ने घोटाले में शामिल प्राधिकरण के सर्वे अमीन लेखपाल श्रीपाल सिंह को भूलेख विभाग से हटा कर फिलहाल ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित कार्यालय में अटैच कर दिया है और उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
घोटाले की जानकारी
लेखपाल श्रीपाल सिंह पर 10 बिंदुओं पर जांच की जा रही है। आरोप है कि उन्होंने अपात्र किसानों को भी पात्र मानकर कई गुना अधिक भूमि के प्लॉट आवंटित किए। रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम जुनपत में प्राधिकरण की नीति के विपरीत 40 वर्ग मीटर अतिरिक्त भूमि आवंटित की गई। इसी तरह, एमनाबाद और हैबतपुर गांवों में भी नीति के अनुसार पात्र न होने के बावजूद अतिरिक्त भूमि आवंटित की गई, जिससे प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान हुआ।
प्राधिकरण को नुकसान
जांच में यह भी सामने आया है कि श्रीपाल सिंह ने कई मामलों में महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई और प्राधिकरण को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया। उदाहरण के तौर पर, बीसरख जलालपुर के खसरा संख्या 314, 307 और 315 के भूमि मामलों में 65 करोड़ 74 लाख रुपये का नुकसान हुआ। अन्य मामलों में भी भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाकर और पात्रता सूची में अनियमितताएं करके प्राधिकरण को भारी क्षति पहुंचाई गई।
कार्रवाई की प्रक्रिया
सीईओ ने दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए श्रीपाल सिंह को फिलहाल ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित कार्यालय में अटैच कर दिया है। जांच के दौरान यह पाया गया कि श्रीपाल सिंह प्राधिकरण में काम करने लायक नहीं हैं। इस मामले में शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

VIKAS TRIPATHI
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