
आजकल लोग अपने बच्चों की शादी के लिए कुंडली मिलान हेतु किसी सॉफ्टवेयर की सहायता लेते हैं और जब यह देखा जाता है कि 20, 22, 25, 28, 30, 34 आदि गुण मिल रहे हैं, तो शादी कर दी जाती है। लेकिन जब विवाह के बाद दाम्पत्य जीवन सुखद नहीं रहता, तब दोष पंडित जी या कुंडली मिलान को दिया जाता है और इसे फालतू की चीज़ समझा जाने लगता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी बताते हैं कि—
“कभी भी केवल गुणों के आधार पर विवाह का निर्णय नहीं लेना चाहिए। किसी जानकार एवं अनुभवी ज्योतिषी से मिलकर दोनों पक्षों की कुंडलियों के ग्रहों की मैत्री अवश्य देखनी चाहिए। उनकी आयु, रोजगार, रोग, संतान सुख, पारिवारिक सुख आदि का भी विचार आवश्यक है। यदि ये सभी पहलू अनुकूल हों और गुण थोड़े कम भी मिलते हों, तब भी विवाह किया जा सकता है।”
शास्त्री जी ने कहा कि—
“अगर कोई कम जानकार व्यक्ति कुंडली देखकर कहे कि यह ‘एकाधिपत्य कुंडली’ है या दोनों की राशियाँ एक ही हैं, तो इन बातों में न फंसें। क्योंकि यदि दोनों की राशि एक ही है, तो गोचर में जब कोई ग्रह पीड़ित अवस्था में होगा, तो उसका दुष्प्रभाव दोनों पर एकसमान पड़ेगा, जो अत्यंत कष्टकारी हो सकता है। साथ ही यदि दोनों की दशाएं भी एक समान हुईं और वे अशुभ रहीं, तो जीवन में संकट उत्पन्न हो सकता है।”
इसी प्रकार शास्त्री जी ने यह भी बताया कि—
“बहुत से लोग ‘मांगलिक दोष’ को लेकर चिंतित रहते हैं और मानते हैं कि मांगलिक की शादी केवल मांगलिक से ही होनी चाहिए। लेकिन वास्तविकता यह है कि कई बार मांगलिक व्यक्ति की शादी अमांगलिक से होती है, फिर भी उनका जीवन सुखमय रहता है। इसका कारण होता है — ‘ग्रहों की मैत्री’। इसलिए मांगलिक दोष का निर्णय भी केवल गुण मिलान से नहीं, बल्कि गहन ज्योतिषीय अध्ययन से करना चाहिए।”
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ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
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VIKAS TRIPATHI
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