
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘बुलडोजर न्याय’ पर दिए गए फैसले का स्वागत किया, यह कहते हुए कि यह फैसला संगठित अपराध पर लगाम लगाने और अपराधियों में कानूनी परिणामों का डर पैदा करने में मदद करेगा।
विपक्ष की आलोचना और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार विपक्ष की आलोचनाओं का सामना कर रही है, जिसमें कहा गया कि प्रशासन न्यायिक शक्ति का उपयोग नहीं कर सकता। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी आरोपी की संपत्ति बिना पूर्व नोटिस के नहीं गिराई जानी चाहिए और प्रभावित पक्ष को जवाब देने के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए।
योगी सरकार का पक्ष
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए स्पष्ट किया कि वह इस मामले में पक्षकार नहीं थी। यह मामला ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद बनाम नॉर्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन’ से जुड़ा था। योगी सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “अच्छे प्रशासन की पहली शर्त कानून का शासन है। यह फैसला अपराधियों में कानून का डर बढ़ाएगा, जिससे माफिया और संगठित अपराधियों पर नियंत्रण आसान होगा।”
ओम प्रकाश राजभर का बयान
उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा, “सरकार कभी भी किसी की व्यक्तिगत संपत्ति को नहीं गिराती। बुलडोजर केवल सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे के खिलाफ चलता है। यह उच्च न्यायालय का निर्णय था, हम इसे अपने से नहीं करते।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई अधिकारी अवैध कार्रवाई में दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा संदेश
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन शामिल थे, ने ‘बुलडोजर न्याय’ की तुलना कानूनविहीन स्थिति से की, जहां ‘बल ही न्याय’ माना जाता है। पीठ ने कहा कि प्रशासन नागरिकों की संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया के नष्ट करके दंडित नहीं कर सकता। यह कार्य ‘अत्याचारी और मनमानी’ मानी जाती है और इसे कानून की सख्त कार्रवाई से निपटना चाहिए।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बुलडोजर राज’ का जश्न मनाया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने ‘कानूनविहीन स्थिति’ करार दिया। ओवैसी ने पोस्ट किया, “सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य है। इससे उम्मीद की जा सकती है कि राज्य सरकारें मुस्लिमों और अन्य वंचित समूहों को सामूहिक रूप से दंडित करने से बचेंगी।”
बसपा प्रमुख मायावती ने भी फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इससे ‘बुलडोजर आतंक’ समाप्त होना चाहिए। उन्होंने पोस्ट किया, “सुप्रीम कोर्ट के आज के निर्णय और सख्त दिशा-निर्देशों के बाद उम्मीद की जा सकती है कि यूपी और अन्य राज्य सरकारें जनहित और कल्याण को ठीक से प्रबंधित करेंगी और बुलडोजर का आतंक जरूर खत्म होगा।”
समाजवादी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “बुलडोजर कार्रवाई पूरी तरह से अन्यायपूर्ण, असंवैधानिक और अवैध थी।”
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार की मनमानी कार्रवाई को कानून की प्रक्रिया का पालन करना होगा। सरकार ने जहां फैसले को अपराधियों पर लगाम कसने के नजरिए से देखा, वहीं विपक्ष ने इसे ‘बुलडोजर आतंक’ के अंत के रूप में देखा।

VIKAS TRIPATHI
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