
नई दिल्ली: हाई प्रोफाइल मामलों में जमानत मिलने के बाद जश्न मनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में महाराष्ट्र के एक कथित अपराधी सोपन गाडे की जमानत पर जश्न मनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और जमानत रद्द करने की चेतावनी दी है।
सोपन गाडे, जोकि 2013 के एक हत्या के मामले सहित कई आपराधिक मामलों में आरोपी है, को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। लेकिन जमानत मिलते ही गाडे ने अपने समर्थकों के साथ भव्य जुलूस निकाला, जिसमें 100 से अधिक चार पहिया और 70-80 दोपहिया वाहन शामिल थे। इस जुलूस के दौरान पटाखे फोड़े गए और जेसीबी मशीन से फूलों की बारिश की गई, जिससे नेवासा शहर के मुख्य मार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग पर 5-6 घंटे तक जाम लगा रहा।
शिकायतकर्ता आसिफ खान ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि सोपन गाडे ने जमानत के बाद लोगों के बीच अपना खौफ पैदा करने के लिए इस तरह का जश्न मनाया। शिकायतकर्ता ने कोर्ट से सोपन गाडे की जमानत रद्द करने की मांग की।
इस पर जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि जमानत मिलने के बाद इस तरह से जश्न मनाना गवाहों को डराने और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के समान है। कोर्ट ने सोपन गाडे के वकील को निर्देश दिया कि वे रैली और जुलूस के आयोजन के लिए माफी मांगें और भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न होने का लिखित वचन दें।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख देशभर में जमानत के बाद होने वाले ऐसे भव्य आयोजनों के लिए एक सख्त संदेश है, जो न्यायिक प्रक्रिया और कानून के प्रति लोगों की गंभीरता पर सवाल उठाते हैं।

VIKAS TRIPATHI
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